RAW की पूर्व अधिकारी ने कोर्ट में कपड़े उतारे
आरोपी अधिकारी की पेशी न्यायाधीश अजित भरिहोक के न्यायालय में हो रही थी। 45साल की निशा भाटिया को सुबह 10.45 बजे न्यायालय में पेश किया गया। पेशी की शुरुआत होते ही महिला ने अपने ऊपरी हिस्से का कपड़ा उतार दिया। ये सब कुछ इतने आनन-फानन में हुआ कि वहां मौजूद कोई भी व्यक्ति नहीं समझ पाया कि क्या हो रहा है, बाद में महिला हवलदारों ने उसे रोका।
भोजनावकाश के बाद जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो कुछ मिनट बाद भाटिया दोबारा कपड़े उतारने लगी। इस बार उसने अभी अपना जैकेट उतारा था तभी महिला हवलदारों ने उसे रोक लिया। इसके बाद मामले की सुनवाई भाटिया की वकील रीता कौल की उपस्थिति में हुई।
उल्लेखनीय है कि भाटिया गुड़गांव स्थित रॉ प्रशिक्षण संस्थान में तैनात थी। उसके यौन उत्पीड़न की शिकायतों को कथित रूप से नजरअंदाज किए जाने पर उसने 19 अगस्त 2008 को प्रधानमंत्री कार्यालय के समक्ष आत्महत्या करने का प्रयास किया। इसके बाद उसे नौकरी से निलंबित कर दिया गया।
न्यायाधीश भरिहोक ने उसकी इस हरकत पर टिप्पणी करते हुए कहा, "याचिकाकर्ता द्वारा न्यायालय में अपने कपड़े उतारने का व्यवहार अशोभनीय है और इससे पता चलता है कि याचिकाकर्ता की मनोदशा ठीक नहीं है। ऐसा व्यहवार एक सामान्य नहीं करता है।" न्यायालय ने निशा की मानसिक दशा की जांच कराने का आदेश दिया है। जज ने उसे दिलशाद गार्डन स्थित 'इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन विहैवियर एंड एलायड साइंसेज' के चिकित्सा अधीक्षक के समक्ष पेश करने के लिए आदेश दिया।
न्यायालय ने इस सम्बंध में 20 फरवरी को रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया। हालांकि भाटिया का दावा है कि उसके वरिष्ठ अधिकारियों ने उसके खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं। क्योंकि उसने अगस्त 2008 में उनके खिलाफ अपना यौन उत्पीड़न करने की शिकायत दर्ज कराई है। मामले के एक आरोपी अशोक चतुर्वेदी निचले न्यायालय द्वारा दोषी करार दिया चुका है लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसे रिहा कर दिया। इसके बाद भाटिया ने उसके खिलाफ याचिका दायर की।