एक नजर नीतीश कुमार के राजनैतिक सफर पर
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वे पहली बार बिहार विधानसभा के लिए 1985 में चुने गये थे। 1987 में वे युवा लोकदल के अध्यक्ष बने। 1989 में उन्हें बिहार में जनता दल का सचिव चुना गया और उसी वर्ष वे नौंवी लोकसभा के सदस्य भी चुने गये थे। 1990 में वे पहली बार केन्द्रीय मंत्रीमंडल में बतौर कृषि राज्यमंत्री शामिल हुए। 1991 में वे एक बार फिर लोकसभा के लिए चुने गये और उन्हे इस बार जनता दल का राष्ट्रीय सचिव चुना गया तथा संसद में वे जनता दल के उपनेता भी बने। 1989 और 2000 में उन्होंने बाढ़ लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 1998-1999 में कुछ समय के लिए वे केन्द्रीय रेल एवं भूतल परिवहन मंत्री भी रहे, और अगस्त १९९९ में गैसाल में हुई रेल दुर्घटना के बाद उन्होंने मंत्रीपद से अपना इस्तीफा दे दिया।
सन 2000 में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने लेकिन उन्हें सिर्फ सात दिनों में त्यागपत्र देना पड़ा। उसी साल वे फिर से केन्द्रीय मंत्रीमंडल में कृषि मंत्री बने। मई 2001 से 2004 तक वे बाजपेयी सरकार में केन्द्रीय रेलमंत्री रहे। २००४ के लोकसभा चुनावों में उन्होंने बाढ एवं नालंदा से अपना पर्चा दाखिल किया लेकिन वे बाढ की सीट हार गये। नवंबर 2005,में राष्ट्रीय जनता दल की बिहार में पंद्रह साल पुरानी सत्ता को उखाड़ फेकने में सफल हुए और मुख्यमंत्री के रूप में उनकी ताजपोशी हुई।