परमाणु विधेयक में विपक्षी दलों की चिंताओं का ध्यान रखा गया : चव्हाण (लीड-2)
केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने संशोधनों के साथ इसे पेश करते हुए कहा कि विधेयक में सभी विपक्षी दलों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए आम सहमति बनाने की कोशिश की गई है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस विधेयक का उद्देश्य किसी देश विशेष को खुश करना नहीं बल्कि परमाणु दुर्घटना होने की स्थिति में पीड़ितों को 'त्वरित' मुआवजा दिलाने का तंत्र विकसित करना है।
विधेयक को पेश करते हुए चव्हाण ने कहा, "मुझे परमाणु विधेयक पेश करते हुए बेहद प्रसन्नता हो रही है। यह विधेयक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा वर्ष 2005 में शुरू की गई यात्रा का समापन करेगा।"
लोकसभा में चर्चा के बाद इस विधेयक के पारित होने के पूरे आसार है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और वामपंथी दलों ने इस विधेयक के कुछ उपबंधों पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद खुद चव्हाण ने भाजपा और वामदलों के नेताओं से मुलाकात कर उनकी आपत्तियां सुनी और आवश्यक संशोधन के साथ इस संसद में पेश करने की बात कही थी।
चव्हाण ने कहा, "हमने विधेयक की धारा 17 में नए संशोधन किए हैं। हम भाजपा और वामपंथी दलों की चिंताओं से सहमत हो गए हैं।"
वामदलों की चिंताओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा इस विधेयक का उद्देश्य किसी अन्य देश को खुश करना नहीं है। उन्होंने कहा कि हम बेहतरीन सौदा करना चाहते थे। इसलिए यह यकीनन किसी देश विशेष को प्रसन्न करने के लिए नहीं है।
चव्हाण ने कहा कि सरकार ने व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए और सभी राजनीतिक दलों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस विधेयक में 18 संशोधन किए हैं, जिन्होंने इस साल मई में संसदीय समिति को सौंपे गए विधेयक को असरदार बनाया है। सदन में अल्पकालिक चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित किए जाने की संभावना है।
उन्होंने कहा, "हमने भाजपा की चिंताओं को भी ध्यान में रखा है। परमाणु हादसे की स्थिति में मुआवजे की राशि 500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1500 करोड़ रुपये कर दी गई है। अमेरिका में भी यही व्यवस्था है।"
उन्होंने कहा कि इसका मकसद परमाणु दुर्घटना होने की स्थिति में पीड़ितों को फौरन मुआवजा दिलाना है।
भोपाल गैस हादसे का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "हमने देखा कि भोपाल में क्या हुआ। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पीड़ितों को मुआवजे के लिए दर-दर की ठोकरे न खानी पड़ें।"
चव्हाण ने कहा, "हम अभूतपूर्व राजनीतिक सर्वसम्मति कायम कर पाए हैं..इस बारे में कुछ टकराव हुआ लेकिन हम अपने मतभेद मिटाने में कामयाब रहे।"
उन्होंने कहा कि विदेशी आपूर्तिकर्ता इससे भयभीत हो सकते हैं कि यह कानून बहुत ही कड़ा हैं। "लेकिन मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुकूल है।"
गौरतलब है कि विधेयक के उपबंध 17 का संबंध परमाणु उपकरण उपलब्ध करवाने वाले आपूर्तिकर्ताओं की दुर्घटना की स्थिति में देनदारी से है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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