मनमोहन ने नक्सलियों से अपील की, पाकिस्तान को चेतावनी दी (राउंडअप)
17वीं सदी के ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने जम्मू एवं कश्मीर में हिंसा समाप्त करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हिंसा से कोई मकसद हल नहीं होने वाला है।
प्रधानमंत्री ने लेह में बादल फटने की घटना और जम्मू एवं कश्मीर में हाल में हुई हिंसा की घटनाओं में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
प्रधानमंत्री ने नक्सली संगठनों से बातचीत के लिए आगे आने और देश के विकास में सहयोग करने की अपील करते हुए कहा कि सरकार किसी भी तरह की हिंसा से सख्ती से निपटेगी।
उन्होंने नक्सलवाद की समस्या से केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर निपटने की जरूरत बताई। उन्होंने नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास की योजनाएं चलाने और प्रशासन को भी संवेदनशील होने की जरूरत पर बल दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में वर्षो से चले आ रहे खून खराबे का अब अंत होना चाहिए। कश्मीर को देश का अभिन्न अंग करार देते हुए उन्होंने कहा कि हिंसा का रास्ता छोड़ने वाले सभी व्यक्तियों व समूहों से वह बातचीत को तैयार हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों में सक्रिय उग्रवादी संगठनों से भी प्रधानमंत्री ने वार्ता के लिए आगे आने का आग्रह किया।
पड़ोसी देशों के साथ मधुर संबंध रखने की बात करते हुए उन्होंने कहा, "हम पड़ोसी देशों के साथ शांति चाहते हैं। जो भी मतभेद हैं, उन्हें वार्ता के जरिए सुलझाना चाहते हैं। जहां तक पाकिस्तान की बात है, हम उससे उम्मीद करते हैं कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल हमारे खिलाफ दहशतगर्दी की गतिविधियों में नहीं होने देगा।"
उन्होंने कहा, "हम पाकिस्तान सरकार के साथ अपनी वार्ताओं में भी इस बात पर जोर देते रहे हैं। ऐसा नहीं होने पर हम बातचीत के सिलसिले को बहुत आगे तक नहीं बढ़ा सकते हैं।"
प्रधानमंत्री ने देश के सामने आर्थिक चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले एक साल में हमारी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है और दुनिया में आज हमें सम्मान के साथ देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष हमारे सामने सूखा और वैश्विक आर्थिक मंदी जैसी चुनौतियां मौजूद थीं, लेकिन हम इससे सफलतापूर्वक निपटने में सफल रहे। इस कारण दुनिया में हमें सम्मान मिला और वैश्विक मंचों पर हमारी बातों को ध्यान पूर्वक सुना जाने लगा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम दुनिया की सबसे तेजी से विकास करने वाली दूसरी अर्थव्यवस्था है।
उन्होंने कृषि क्षेत्र में विकास और किसानों को फसलों की उचित कीमत देने पर जोर देने की बात कही। उन्होंने कृषि क्षेत्र में चार फीसदी की विकास दर को हासिल करने की बात कही।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 में जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार सत्ता में आई थी तो देश में कृषि की हालत संतोषजनक नहीं थी। कृषि के क्षेत्र में हमने सरकारी निवेश पर जोर दिया और पैदावार बढ़ाने की कोशिश की। इसके लिए जिला स्तर पर प्रयास किए गए। पिछले कुछ सालों में कृषि विकास की दर में वृद्धि हुई है लेकिन हम लक्ष्य से अभी भी दूर हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार महंगाई पर काबू पाने के लिए हर संभव उपाय कर रही है। उन्होंने कहा, "मुझे पता है कि आप बढ़ती कीमतों से परेशान हैं। गरीब जनता पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है। जब अनाज और सब्जियों के दाम बढ़ते हैं तो इसका सबसे ज्यादा बोझ गरीब भाइयों पर पड़ता हैं।"
उन्होंने पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में पिछले दिनों की गई वृद्धि को उचित ठहराते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ईंधन की कीमतों पर वृद्धि हुई है और देश की अर्थव्यवस्था के लिए इसका बोझ उठाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि हम अपनी जरूरतों का 80 फीसदी पेट्रोलियम का आयात करते हैं।
प्रधानमंत्री सिंह ने भरोसा दिलाया कि लेह में पिछले दिनों बादल फटने की घटना में प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार हरसंभव कदम उठाएगी।
राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन को देश के लिए गौरवपूर्ण अवसर करार देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विश्वास जताया कि देशवासी इसे राष्ट्रीय त्योहार के रूप में लेंगे और इसके सफल आयोजन में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।
प्रधानमंत्री ने देश के सभी राजनीतिक दलों व उसके नेताओं को राजनीति में कठोर बातों व कड़वे शब्दों के इस्तेमाल से बचने की नसीहत दी। इस प्रचलन को उन्होंने देश की संस्कृति व गौरवशाली परम्परा के प्रतिकूल बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा, "मैं एक बात कहना चाहता हूं जो हमारी संस्कृति और गौरवशाली परम्परा से जुड़ी है। पिछले कुछ दिनों में हमारी राजनीति में कठोर बातों और कड़वे शब्दों का इस्तेमाल बढ़ गया है।"
उन्होंने कहा, "यह हमारी उदारता, विनम्रता और सहनशीलता की परम्परा के विरूद्ध है। लोकतंत्र में, खासकर एक प्रगतिशील समाज में आलोचना का अपना स्थान है, पर आलोचना मर्यादा की सीमा में होनी चाहिए।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "हम एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं, जिसमें सबकी बराबर की हिस्सेदारी हो। एक ऐसा भारत जो समृद्ध हो, जिसके सभी नागरिक अमन-चैन के माहौल में सम्मान की जिंदगी बसर कर सकें, जिसमें हरेक नागरिक के बुनियादी अधिकार सुरक्षित हों और जिसमें लोकतांत्रिक तरीकों से हर मुश्किल को हल किया जा सके।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले हर व्यक्ति को साल में सौ दिन के रोजगार का सहारा मिला है। सूचना का अधिकार अधिनियम हमारे नागरिकों को जागरूक बनाने में मदद कर रहा है। इस साल हमारी सरकार ने शिक्षा के अधिकार का कानून लागू किया है, जिससे हर भारतीय को देश की आर्थिक प्रगति का लाभ उठाने और उसमें योगदान देने में मदद मिलेगी।"
उन्होंने कहा, "भारत के निर्माण में महिलाओं की बराबर की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए संसद और राज्य विधानमंडलों में महिला आरक्षण के लिए पहल की गई है। स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।