पूरे एक साल टल सकती है कसाब की फांसी
मुंबई
आतंकी
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अधिवक्ता
केवी
धनंजय
ने
एक
अध्ययन
किया
है।
इस
अध्ययन
के
मुतबिक,
पिछले
17
सालों
में
बंबई
उच्च
न्यायालय
द्वारा
दिए
गए
सैकड़ों
फैसलों
से
लिष्कर्ष
निकलता
है
कि
प्रत्येक
मामले
को
निपटाने
में
औसतन
253
दिन
लगते
हैं।
प्रावधान
के
मुताबिक
किसी
सत्र
अदालत
द्वारा
सुनाई
गई
प्रत्येक
फांसी
की
सजा
की
राज्य
के
उच्च
न्यायालय
द्वारा
पुष्टि
की
जाती
है।
इसलिए
कसाब
अभी
उच्च
न्यायालय
में
अपील
भी
कर
सकता
है।
फिर
सर्वोच्च
न्यायालय
और
अंत
में
राष्ट्रपति
के
यहां
दया
याचिका
दाखिल
करने
के
अवसर
भी
उसके
पास
हैं।
ये
सभी
उसकी
फांसी
को
लंबे
समय
तक
लटका
सकते
हैं।
धनंजय बताते हैं कि "बंबई उच्च न्यायालय ने 52 प्रतिशत मामलों में मौत की सजा को निरस्त किया है। सिर्फ 48 प्रतिशत मामलों में ही सजा की पुष्टि हुई है। इस बात की अधिक संभावना है कि बंबई उच्च न्यायालय कुछ समय के लिए (आमतौर पर आठ सप्ताह) मृत्युदंड की पुष्टि के मामले को स्थगित कर दे। इससे दोषी को संविधान की धारा 136 के तहत सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने का मौका मिल सकता है। "
यदि कसाब ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की और उसके बाद राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की तो उसे फांसी पर लटकाए जाने के रास्ते में एक दूसरा अवरोध खड़ा हो सकता है। धनंजय ने कहा, "प्रत्येक मौत की सजा के मामले में राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने की जरूरत होती है। यदि कसाब राष्ट्रपति से माफी की इच्छा रखता है तो उसे चार अलग-अलग दया याचिकाएं दायर करने की जरूरत होगी।" ज्ञात हो कि कसाब को पिछले गुरुवार को फांसी की सजा सुनाई गई थी। उसे 26-29 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के लिए दोषी ठहराया गया है।