विरोध के बीच परमाणु दायित्व विधेयक लोकसभा में पेश (लीड-2)
भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और वाम दलों ने इस विधेयक को असंवैधानिक करार देते हुए सदन से बहिर्गमन किया। बीजू जनता दल (बीजद) तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) ने भी इस विधेयक का विरोध किया।
समाजवादी पार्टी (सपा),बहुजन समाज पार्टी (बसपा)और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने विरोध में हिस्सा नहीं लिया।
भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने सदन में कहा, "यह संविधान के अनुच्छेदों के विपरीत है। यह गैर कानूनी और असंवैधानिक है।" पूर्व विदेश मंत्री सिन्हा ने सरकार पर अमेरिकी दबाव में काम करने का आरोप लगाया।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता बासुदेव आचार्य ने कहा कि विधेयक संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के बारे में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, "परमाणु ऊर्जा पैदा करने वाले बहुत से देशों के अपने कानून हैं और उनमें से कुछ किसी न किसी व्यवस्था में शामिल हैं।"
उन्होंने कहा कि भारत अभी तक किसी भी परमाणु दायित्व समझौते में शामिल नहीं है।
उन्होंने कहा, "भारतीय परमाणु उद्योग, परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 के तहत घरेलू ढांचे के संदर्भ में विकसित किया गया है। परमाणु दुर्घटना होने पर इस कानून में परमाणु दायित्व या हर्जाने के बारे में कोई प्रावधान नहीं है और परमाणु दुर्घटना की सूरत में होने वाले किसी भी नुकसान के लिए किसी भी कानून में परमाणु दायित्व की बात नहीं कही गई है।"
इससे पहले मार्च में संसद के बजट सत्र के पहले चरण में विपक्ष के रवैये को देखते हुए सरकार ने इस विधेयक को पेश करना टाल दिया था।
इस कानून का पारित होना उन गिने-चुने आखिरी कदमों में शुमार है जिन्हें पूरा किया जाना भारत-अमेरिका के बीच संपन्न असैन्य परमाणु सहयोग समझौते को लागू करने के लिए अनिवार्य है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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