भारत की विकास दर 8 प्रतिशत रहेगी
अरुण कुमार
वाशिंगटन, 25 अप्रैल (आईएएनएस)। दुनिया के वित्त मंत्रियों की बैठक में शनिवार को भारत ने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट से भारत तेजी से उबर गया है और इस वर्ष उसकी विकास दर आठ प्रतिशत रहने की उम्मीद है लेकिन महंगाई और अत्यधिक पूंजी प्रवाह से कुछ समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की 186 देशों की संचालन समिति को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डी.सुब्बाराव ने बताया, "वित्तीय वर्ष 2008-09 में जीडीपी में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में वर्ष 2009-10 में 7.2 की वृद्धि दर्ज की गई।"
आईएमएफ और विश्व बैंक की नियमित वार्षिक एक दिवसीय ग्रीष्मकालीन बैठक में उन्होंने कहा कि वर्ष 2010-11 के लिए जीडीपी में आठ प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
सुब्बाराव वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के स्थान पर बैठक में शामिल हुए हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा और वित्तीय समिति में बांग्लादेश, भूटान, भारत और श्रीलंका का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सुब्बाराव ने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट से निपटने के लिए उठाए गए मौद्रिक और वित्तीय प्रोत्साहन उपायों की संकट के असर को कम करने और अर्थव्यवस्था में सुधार सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका है।
उन्होंने कहा, "बहरहाल महंगाई के मोर्चे पर चिंताएं हैं। पहले आपूर्ति के कारण बढ़ी महंगाई अब सामान्य होती जा रही है।"
सुब्बाराव ने महंगाई के मोर्चे पर तीन बड़ी अनिश्चितताओं को स्पष्ट करते हुए कहा कहा, "पहला, वर्ष 2010-11 के मानसून के बारे में अभी कुछ स्पष्ट नहीं है। दूसरा,कच्चे तेल के दामों में अभी भी उतार-चढ़ाव जारी है। तीसरा मांग बढ़ने के प्रमाण हैं।"
इन सभी घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मांग-आपूर्ति तथ्यों को ध्यान में रखकर मार्च 2011 तक थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई की दर 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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