बालों की कूची और जेल की दीवारों का कैनवास
वाराणसी, 21 अप्रैल (आईएएनएस)। सिर के बाल काटकर बनाई कूची (ब्रूश) व फूलों-पत्तियों से निर्मित रंगों से उत्तर प्रदेश में एक कारागार के कैदियों ने समूचे कारागार परिसर को आर्ट गैलरी में तब्दील कर दिया है।
प्रदेश के वाराणसी केंद्रीय कारागार में उम्रकैद की सजा काट रहे पांच कैदी कारागार को एक अनोखा और रंग-बिरंगा रूप दे रहे हैं। जेल की दीवारें जो पहले सूनी और खाली पड़ी रहती थीं, आज वे प्राकृतिक रंगों की चित्रकलाओं से सजी नजर आती है। जेल की दीवारों पर देवी देवताओं से लेकर विभिन्न धर्मो के सूत्रधारों, प्रकृति के विभिन्न रूपों और सृष्टि की रचना की पेंटिंग्स देखी जा सकती हैं।
वाराणसी केंद्रीय कारागार के अधीक्षक सुरेश चंद्रा ने आईएएनएस से कहा कि कैदियों ने पूरे जेल परिसर को आर्ट गैलरी का रूप दे दिया है। उनकी चित्रकलाओं को देखना आंखों के लिए सुखद अनुभव होता है।
जेल अधिकारियों के मुताबिक फिलहाल ये कैदी ज्ञान और विद्या की देवी सरस्वती की एक भव्य पेंटिंग बना रहे हैं। चंद्रा कहते हैं कि कैदियों ने पेंटिंग में फूलों और पत्तियों से रंग तैयार करके बालों की कूची से रंग भरा है।
उन्होंने कहा, "मुझ्झे इस बारे में ज्यादा तकनीकी जानकारी नहीं है, लेकिन जिस तरह से कैदी बालों से बनाई कूची से पेंटिंग बनाते हैं, उन्हें देखकर कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता कि ये किसी तूलिका(ब्रुश) से बनाई पेंटिंग नहीं है।"
जेल की दीवारों में पेंटिंग बनाने का विचार करीब छह महीने पहले हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे छोटेलाल और हरि प्रसाद के दिमाग में आया।
असल में एक बार छोटेलाल और हरि प्रसाद को मैदान की हरी घास काटने का काम दिया गया। उन्होंने घास में ओम की आकृति बनाकर सबको चौंका दिया।
इसके बाद लोगों की सराहना मिली तो दोनों ने बैरक की दीवारों को कैनवास बनाने की ठान ली। सिर के बालों को काट कूची बनाई और फूलों पत्तियों से रंग बनाकर अपनी अभिव्यक्ति को दीवारों पर उकेरने में लग गए।
चंद्रा कहते हैं कि कैदियों की अभिव्यक्ति का यह माध्यम प्रेरणादायी है। हम निश्चति रूप से उनकी प्रतिभा को आगे लाने का प्रयास करेंगे। इसके लिए हम गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) के साथ मिलकर कार्यक्रमों के आयोजन का प्रयास करेंगे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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