भारत-पाकिस्तान वार्ता में अमेरिकी मध्यस्थता नहीं : विशेषज्ञ
वाशिंगटन, 4 मार्च (आईएएनएस)। दक्षिण एशिया मामलों के अग्रणी विशेषज्ञों ने इन अटकलों को नकार दिया है कि इस्लामाबाद के तालिबान आतंकवादी सरगनाओं के खिलाफ कार्यवाही में सहयोग देने के बदले अमेरिका ने भारत को पिछले सप्ताह पाकिस्तान से वार्ता करने को राजी किया।
अटलांटिक परिषद में दक्षिण एशिया केंद्र के निदेशक शुजा नवाज और कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के वरिष्ठ सहायक एश्ले टेलिस भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की बैठक के समय अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बिडेन के साथ दोपहर भोज में शामिल थे और उन्हें पाकिस्तान में तालिबान के शीर्ष सरगनाओं की गिरफ्तारी और वार्ता में उनको कोई संबंध दिखाई नहीं देता।
पत्रिका 'फॉरेन पालिसी' ने टेलिस के हवाले से कहा कि कहानी उससे भी अधिक नीरस है जितनी दिखाई दे रही है। बहरहाल टेलिस ने बिडेन के साथ हुई वार्ता का कोई ब्यौरा नहीं दिया।
उन्होंने कहा, "मैं नहीं मानता कि सरकार को पूरा भरोसा है कि पाकिस्तान के व्यवहार में मूल बदलाव आया है। केवल समय ही इसका फैसला कर सकता है।"
टेलिस ने कहा कि कई कारणों से वार्ता के शुरू होने से अमेरिकी प्रशासन खुश होगा क्योंकि और कुछ नहीं तो उनको पाकिस्तान के खिलाफ उसे थोड़ी छूट मिल सकती है। परंतु यह स्पष्ट है कि वार्ता हुई क्योंकि भारतीय प्रधानमंत्री ऐसा चाहते थे।
टेलिस ने कहा कि अमेरिकी प्रशासन में कोई भी गंभीरता से यह भरोसा करने को तैयार नहीं है कि वे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ऐसी स्थिति में लाए जिससे वह वार्ता के लिए तैयार हुए।
शुजा नवाज ने इससे सहमति जताई कि पाकिस्तान को अपना रुख बदलने के लिए तैयार करने और भारत को न्यूनतम वार्ता आरंभ करने के लिए राजी करने में अमेरिका की भूमिका रही। परंतु इसमें प्रगति उनके अपने हितों के कारण हुई।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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