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मीर तकी मीर को 200वीं पुण्यतिथि पर याद किया गया

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उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी और सेंट जोंस कालेज के उर्दू एसोसिएशन ने संयुक्त रूप से इस कार्यक्रम का आयोजन किया।

अकादमी की अध्यक्ष तरन्नुम अकील ने कहा कि मीर को कभी भी उचित सम्मान नहीं मिला। उन्होंने कहा कि वह एक ऐसे शायर थे जो न तो हिंदू थे और न ही मुस्लिम, वह तो मानवता का गीत गाते थे।

उन्होंने कहा कि उर्दू पाकिस्तान या फारस की भाषा नहीं है, यह भारत और भारतीयों की भाषा है। इस भाषा में शराफत भी है और नजाकत भी।

मीर तकी मीर का जन्म आगरा में 1723 में हुआ था। इसके बाद वह दिल्ली चले गए और जब अहमद शाह अब्दाली ने दिल्ली को लूटना शुरू किया तो वह लखनऊ चले आए। 1810 में उनका निधन हो गया।

उर्दू के कई प्रख्यात शायर ताजमहल की नगरी से जुड़े रहे हैं, इनमें मीर, मिर्जा गालिब और नजीर अकबराबादी प्रमुख हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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