वित्तीय संकट से निपटने के लिए गांधीवादी अर्थशास्त्र की जरूरत : प्रणब
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अनुपस्थिति में वित्त मंत्रालय का कामकाज देख रहे मुखर्जी ने यहां एक गैर सरकारी संगठन द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में कहा, "जब भी आवश्यक होगा, सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएगी कि श्रम आधारित सेक्टरों पर कम से कम प्रभाव पड़े।"
उन्होंने रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन (आरआईएस) के रजत जयंती समारोह में कहा, "पिछले पांच वर्षो के दौरान नौ फीसदी की औसत विकास दर के बाद हमें उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक मंदी के बावजूद अर्थव्यवस्था सात फीसदी की गति से बढ़ेगी।"
मुखर्जी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि अभी यह तय नहीं किया गया है है कि कुछ और आर्थिक उपायों की घोषणा कब तक की जाएगी। उन्होंने कहा, "आप को मेरे बजट पेश करने तक इंतजार करना होगा।" अंतरिम बजट आगामी 16 फरवरी को पेश किया जाएगा।
मुखर्जी ने कहा कि वैश्विक वित्तीय संस्थाओं द्वारा विकासशील देशों को कौशल विकास, आधारभूत संरचना और स्थानीय समुदायों को मजबूत बनाने के लिए और अधिक संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए।
मुखर्जी ने कहा कि एक बार फिर गांधीवादी अर्थशास्त्र की आवश्यकता है ताकि ग्रामीण स्वयंसहायता और सतत आर्थिक विकास हासिल किया जा सके।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
*