कैंसर टीके को लेकर भारत में विवाद
बेंगलुरू, 30 दिसम्बर (आईएएनएस)। एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के गर्भाशय कैंसर के विवादित टीके के टेलीविजन विज्ञापन ने लोगों को भ्रम में डालने के साथ ही स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है।
इस 15 सेकेंड के विज्ञापन को हाल ही में भारत में प्रसारित किया जाना आरंभ किया गया है। इसमें छोटी लड़कियों के अभिभावकों को गर्भाशय कैंसर से बचाव के लिए गार्डसिल टीका लगवाने का आग्रह किया गया है। उल्लेखनीय है कि गर्भाशय कैंसर महिलाओं में सबसे अधिक होने वाला दूसरा कैंसर है।
इस टीके के सुरक्षित होने और नौ वर्ष की उम्र में बालिकाओं को इसके लगाने की नैतिकता पर अमेरिका में भी विवाद हो चुका है।
इस टीके का निर्माण मार्क एंड कंपनी ने किया है। यह दो पैपीलोमा वायरसों (एचपीवी 16 और 18) पर रोक लगाता है,जो 70 प्रतिशत गर्भाशय कैंसर के लिए जिम्मेदार हैं।
अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रिेशन ने वर्ष 2006 में इस टीके को बाजार में उतारने की अनुमति दी थी। भारत में कंपनी ने इस टीके को अक्टूबर 2008 में बाजार में उतारा। टेलीविजन प्रचार में दिखाया जा रहा है कि यदि अभिभावकों ने इस टीके को नहीं लगावाया तो उनकी लड़कियों को ग्र्भाशय के कैंसर से मौत का खतरा है।
अमेरिका में टीके से पैदा हुए विवाद से परिचित एक मेडिकल विज्ञानी ने कहा कि टेलीविजन पर दवा का विज्ञापन अनैतिक कहा जा सकता है लेकिन इसे बेचने के लिए भय का सहारा लेना बहुत ही खराब है।
बेंगलुरू के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के कैंसर विशेषज्ञ कुमारवेल सोमसुंदरम ने आईएएनएस से कहा कि गार्डसिल प्रभावी टीका है लेकिन इसके दुष्प्रभावों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।
नई दिल्ली के सेंट स्टीफन अस्पताल के बालरोग विशेषज्ञ जैकब पुलीयेल ने कहा कि 120 डॉलर (5,800 रुपये) के टीके की तीन खुराकें आवश्यक होती हैं। लेकिन इसके दुष्प्रभाव भी हैं। गूगल पर गार्डसिल सेफ्टी सर्च करने पर दुष्प्रभावों की 263,000 रिपोर्टे मिली हैं। अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग ने 31 अगस्त तक गार्डसिल टीके से 27 मौतों सहित दुष्प्रभाव के 10,000 मामले दर्ज किए हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।