भारत के साथ नई संधि चाहते हैं प्रचंड
काठमांडु, 13 सितम्बर (आईएएनएस)। नेपाल के पहले माओवादी प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल 'प्रचंड' ने अपनी प्रस्तावित भारत यात्रा को 'सद्भावना' यात्रा बताते हुए कहा है कि वे एक नए मसौदे के साथ नई दिल्ली जा रहे हैं, जो 1950 में हुई भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि की जगह लेगा।
काठमांडु, 13 सितम्बर (आईएएनएस)। नेपाल के पहले माओवादी प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल 'प्रचंड' ने अपनी प्रस्तावित भारत यात्रा को 'सद्भावना' यात्रा बताते हुए कहा है कि वे एक नए मसौदे के साथ नई दिल्ली जा रहे हैं, जो 1950 में हुई भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि की जगह लेगा।
प्रचंड ने नेपाल के सरकारी मीडिया से शनिवार को कहा, "इस संधि पर राणाशाही के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे।"
उन्होंने कहा कि इसको अब काफी अरसा हो चुका है। राणाओं और राजाओं का दौर अब गुजर गया, नेपाल में राजतंत्र की जगह अब गणतंत्र ने ले ली है। इसलिए यह समझदारी होगी कि आपसी हित में दोनों देशों के बीच नई संधि की जाए।
प्रचंड ने कहा कि जो लोग इस मसौदे को यह कहकर खारिज कर रहे हैं कि इसके लिए आवश्यक तैयारी नहीं की गई है, दरअसल वे लोगों को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "हम पूरी तरह तैयार हैं और भारत ले जाने के लिए हमारे पास पहले से मसौदा तैयार है।"
अपनी पांच दिन की भारत यात्रा के दौरान प्रचंड आपसी समझ और परामर्श के तहत मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए एक विशेष भारत-नेपाल टास्कफोर्स के गठन का प्रस्ताव रखेंगे।
प्रचंड की प्रस्तावित यात्रा के दौरान उनके साथ आनेवाला प्रतिनिधिमंडल कोसी नदी द्वारा मचाई गई हालिया तबाही का मुद्दा भी उठाएगा। इस यात्रा के दौरान भारत और नेपाल के बीच वर्ष 1954 में हुई संधि की समीक्षा का प्रस्तावा भी रखा जाएगा।
गौरतलब है कि वर्ष 1954 में हुई संधि के मुताबिक नेपाल में कोसी नदी पर बने सभी निर्माणों के रखरखाव की जिम्मेदारी भारत की है, इसलिए इस वर्ष इस नदी द्वारा मचाई गई तबाही के लिए नेपाल की बड़ी राजनीतिक पार्टियां भारत से मुआवजे की मांग कर रही हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।