लोकरूचि. अनूठी दुकान दो अंतिम बडवानी..
दुकान दो अंतिम बडवानी.. दोनों परिवार हिन्दू और मुस्लिम पवो पर समान श्रद्धा और सहभागिता प्रदशित करते हैं 1 यहां तक कि विभिन्न पारिवारिक निर्णय भी वे संयुक्त रूप से लेते हैं
दोनों का मानना है कि जगह.जगह सांप्रदायिक तनावों से परे होकर समाज और देश की तरक्की तथा समृद्धि आपसी भाईचारे से ही संभव है1 दोनों के पिता और दादा भी आपस में अच्छे दोस्त रहे हैं. किन्तु उनकी दोस्ती की बात ही कुछ और है
गत दो दशकों से निवाली आने.जाने के दौरान उनकी दुकान से पान खाने वाले पानसेमल निवासी वकील दिनेश जोशी कहते हैं कि आज के जमाने में जहां दो सगे भाई ठीक से साथ नहीं रह पाते हैं. ये अलग.अलग कौम के दोस्त 33 वषो से एक छोटी सी दुकान कैसे चला रहे है. यह आश्चर्य का विषय है
शिव प्रसाद और नवाज मोहम्मद कहते हैं कि गुटखे की अपसंस्कृति ने पान व्यवसाय पर विपरीत असर डाला है. ऐसे में ये दोनों मिलकर कोयी नया व्यवसाय भी आरंभ करने की योजना बना रहे हैं
सं देवेन्द्र जगबीर1504वार्ता