मनमोहन के इस्तीफे की अटकलें गलत. कांग्रेस
नयी दिल्ली. 17 अक्तूबर. वार्ता. कांग्रेस ने इस खबर को गलत बताया है कि सहयोगी और समर्थक दलों का सहयोग नहीं मिलने के कारण परमाणु करार को ठंडे बस्ते में डाले जाने से दुखी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने पद सेे इस्तीफा देना चाहते हैं
कांग्रेस के प्रवक्ता शकील अहमद ने आज यहंा पार्टी की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि भारत अमरीका असैन्य परमाणु समौते को ठंडे बस्ते में डाले जाने की बात में कोई सच्चाई नहीं है1 उन्होंने कहा कि इस पर अभी भी वामदलों के साथ बातचीत चल रही है तथा 22 अक्तूबर को इस संबंध में संयुक्त समिति की बैठक होने वाली है और यदि जरुरत पडी तो आगे भी यह बैठक हो सकती है
इस आेर ध्यान दिलाये जाने पर कि प्रधानमंत्री अमरीका के राष्ट्रपति जार्ज डब्लयू बुश को बता दिया है कि परमाणु करार को लागू करने में कठिनाइयां हैं श्री अहमद ने कहा कि निश्चित रुप से इसे लेकर कुछ कठिनाइयां तो हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि करार को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है1 उन्होंने कहा कि साा सरकार में सहयोगियों को साथ लेकर चलना होता है1 सहयोगियों में से किसी को यदि कुछ आशंका हो तो सरकार का यह कर्तव्य है कि उन आशंकाओं को दूर करे और इस मसले पर यही किया जा रहा है
प्रधानमंत्री के इस्तीफे की अटकलों के बारे में उन्होंने कहा कि पता नहीं यह खबर कहां से आ गयी1 प्रवक्ता ने कहा कि डा. मनमोहन सिंह को सभी सहयोगी दलों का पूरा विश्वास प्राप्त है और उनके इस्तीफे की कोई बात नहीं है
पार्टी सूत्रों का कहना है कि परमाणु करार पर ब्रेक भले ही लग गया हो लेकिन अभी यह कहना ठीक नहीं है कि इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है तथा पार्टी और सरकार ने इस पर यू टर्न ले लिया है1 सूत्रों ने कहा कि इस मसले पर वामदलों को समाने का प्रयास किया जा रहा है तथा 22 अक्तूबर को होने वाली बैठक में भी उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया जायेगा1 पार्टी का स्पष्ट मत है कि करार राष्ट्रहित में है तथा इससे देश को बहुत फायदा होगा1 सूत्रों का कहना है कि सरकार को पहले दिन से ही पता था कि वामदलों की सहमति के बिना करार को उसके अंजाम तक नहीं पहंुचाया जा सकता है इसलिये उसने 123 करार को अंतिम रुप देते समय वामदलों द्वारा उठायी गयी सभी आपत्तियों को पूरी तरह दूर किया था फिर भी वाम दलों के राजी नहीं होने पर पार्टी और सरकार को इस पर ब्रेक लगाने का.. राजनीतिक फैसला ..लेना पडा
जय . अजय. समरेन्द्र प्रेम .1906वार्ता