'डरपोक और कमजोर नरेन्द्र मोदी'
उनका यह बयान अखबारों में छपा है। साथ में एक तस्वीर छपी है। तस्वीर में दिखाया गया है कि नरेन्द्र मोदी एक जाल के पीछे से अपना भाषण दे रहे हैं। नरेन्द्र मोदी खुद इतने डरपोक और कमजोर हैं कि उन पर कोई दिलजला जूता न फेंक दे, इसलिए जाल का सहारा ले रहे हैं। नरेन्द्र मोदी साहब पहले खुद इतने मजबूत बनिए फिर किसी और को मजबूत होने का मशविरा देना।
जहां तक अफजल गुरु को फांसी देने का सवाल है तो वे इतना समझ लें कि ये वही अफजल गुरु है, जिसने राजग की सरकार के दौरान संसद पर हमला किया था। जनता ने आपकी सरकार को तो संसद हमले के बहुत बाद में चलता किया था, तभी क्यों नहीं अफजल गुरु को सरेआम फांसी पर लटकाकर मजबूती दिखायी थी ?
मोम
की
तरह
पिघलते
लौहपुरुष
और
हां
आपके
लौहपुरुष
साहब
कितने
लोहे
के
बने
हैं,
यह
तब
साबित
हो
गया
था,
जब
उनके
विदेश
मंत्री
खूंखार
आतंकवादियों
को
बिरयानी
खिलाते
हुऐ
आदर
के
साथ
कंधार
तक
छोड़
कर
आए
थे।
पहले
अपने
पीएम
वेटिंग
को
इतना
मजबूत
तो
कीजिए
कि
देश
पर
संकट
के
सामने
मोम
बनने
बजाय
लोहे
के
बने
रहें।
सिर्फ
कसरत
करते
तस्वीर
खिंचवाने
और
बाजू
फड़काने
से
कोई
मजबूत
नहीं
हो
जाता।
पता नहीं क्यों आजकल आडचाणी साहब की कुछ ऐसी तस्वीरें आ रहीं हैं, जिनमें वे मजबूत दिखने की कोशिश करते नजर आते हैं। अब उन्हें कौन समझाए कि देश का प्रधानमंत्री शरीर से ज्यादा दिमाग से मजबूत होना चाहिए। प्रधानमंत्री को अखाड़े में कुश्ती नहीं लड़नी पड़ती। मनमोहन सिंह दोनों तरह से मजबूत प्रधानमंत्री हैं। आडवाणी साहब मजबूत दिखते भर हैं, मजबूत है नहीं।
जहां तक खुद नरेन्द्र मोदी की मजबूती की बात है, उन्होंने जाल को ढाल बनाकर यह दिखा ही दिया है कि वह खुद कितने डरपोक और कमजोर हैं।