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जब जीवन में अचानक हों शुभ घटनाएं तो समझें विपरीत राजयोग का फल मिला

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। वैदिक ज्योतिष में अनेक प्रकार के राजयोगों का वर्णन मिलता है। जैसा कि नाम से ही ज्ञात है, राजयोग जिन जातकों की जन्मकुंडली में होता है वे सामान्य परिवार में जन्म लेने के बावजूद शिखर हासिल करते हैं। लेकिन कई जातकों की जन्मकुंडली में विपरीत राजयोग होता है। इसका नाम जरूर 'विपरीत राजयोग" है, लेकिन इसका प्रभाव राजयोग की तरह ही शुभ होता है। विपरीत राजयोग योग दो अशुभ भावों से मिलकर बनता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं गणित में ऋ ण- ऋ ण मिलकर धन हो जाता है। इसी प्रकार ज्योतिष में भी जब दो अशुभ भावों और उनके स्वामियों के बीच सीधा या दृष्टि संबंध बनता है तो दोनों अशुभ भावों का प्रभाव शुभ में बदल जाता है। यही विपरीत राजयोग है।

क्या होता है 'विपरीत राजयोग'

क्या होता है 'विपरीत राजयोग'

जिस प्रकार कुंडली में राजयोग सुख, संपत्ति, धन, सम्मान, प्रतिष्ठा, भौतिक सुख-सुविधाएं और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में तरक्की देता है, उसी प्रकार विपरीत राजयोग भी ऐसे ही शुभ फल प्रदान करता है। विपरीत राजयोग बनाने वाले ग्रहों की दशा-महादशा आती है तब जातक के जीवन में तेजी से शुभ प्रभाव आना शुरू हो जाते हैं।

भूमि, भवन, वाहन सुख

ऐसे व्यक्ति को चारों तरफ से कामयाबी मिलती है। इस समय में जातक को भूमि, भवन, वाहन सुख प्राप्त होता है। लेकिन यहां सावधान रहने वाली बात यह भी है कि विपरीत राजयोग का फल जिस तरह एकदम मिलता है उसी तेजी से इस योग का प्रभाव समाप्त भी हो जाता है। योग का शुभ प्रभाव ज्यादा दिन तक नहीं रहता।

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बनता कैसे है 'विपरीत राजयोग'

बनता कैसे है 'विपरीत राजयोग'

ज्योतिष के नियमों के अनुसार जब कुंडली में त्रिक भाव यानी छठे, आठवें और बारहवें भाव के स्वामी आपस में युति संबंध बनाते हों तो विपरीत राजयोग बनता है। त्रिक भाव के स्वामी के बीच युति संबंध बनने से दोनों एक दूसरे के विपरीत प्रभाव को समाप्त कर देते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि जिस जातक की कुंडली में यह योग बनता है उसे इसका शुभ प्रभाव मिलता है। विपरीत राजयोग बनाने वाले ग्रह अगर त्रिक भाव में कमजोर होते हैं या नवमांश कुंडली में कमजोर हों तो अपनी शक्ति लग्नेश को दे देते हैं। इसी प्रकार अगर केंद्र या त्रिकोण में विपरीत राजयोग बनाने वाले ग्रह मजबूत हों तो दृष्टि अथवा युति संबंध से लग्नेश को बलशाली बना देते हैं। अगर विपरीत राजयोग बनाने वाले ग्रह अपनी शक्ति लग्नेश को नहीं दे पाते हैं तो व्यक्ति को किसी और की कामयाबी से लाभ मिलता है।

अचानक कैसे मिलता है विपरीत राजयोग का फल

अचानक कैसे मिलता है विपरीत राजयोग का फल

विपरीत राजयोग त्रिक भावों यानी छठे, आठवें और 12वें भावों के स्वामियों की युति से बनता है। कुंडली का छठा भाव ऋण स्थान होता है। यदि किसी जातक पर लाखों रुपए का कर्ज है और कोई ऐसा रास्ता निकल आता है या किसी की मदद से वह कर्ज एक झटके में उतर जाए तो समझना चाहिए जातक को विपरीत राजयोग का फल मिला है। इसी तरह कुंडली का आठवां स्थान गरीबी का भाव माना जाता है।

 बारहवां भाव व्यय स्थान कहलाता है

बारहवां भाव व्यय स्थान कहलाता है

यदि किसी जातक की गरीबी अचानक दूर हो जाए तो उसे भी विपरीत राजयोग का परिणाम माना जाएगा। इसी तरह बारहवां भाव व्यय स्थान कहलाता है। किसी जातक के खर्चों पर अचानक लगाम लग जाए और बैंक में पैसा जमा होना शुरू हो जाए तो यह भी विपरीत राजयोग के प्रभाव से होता है।

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English summary
Astrology says that Raj yoga is a yoga which provides the fortune of a king to the native who has this yoga in his kundli (birth chart).
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