Sankashti Chaturthi: सारे संकटों के नाश के लिए करें संकष्टी चतुर्थी व्रत
नई दिल्ली। भगवान श्रीगणेश को समर्पित संकट चतुर्थी या संकष्टी चतुर्थी व्रत जीवन की समस्त समस्याओं के नाश के लिए किया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। रात में चंद्रोदय होने पर चांद की पूजा की जाती है। संकट चतुर्थी प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाई जाती है। मंगलवार को आने वाली चतुर्थी को अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है, यह सभी चतुर्थियों में सबसे शुभ मानी जाती है। इस बार संकट चतुर्थी श्रावण कृष्ण चतुर्थी 31 जुलाई को आ रही है। इस चतुर्थी को लेकर इस बार विभिन्न् पंचांगों में मतभेद है क्योंकि 31 जुलाई को चतुर्थी तिथि प्रात: 8.43 बजे प्रारंभ हो रही है जो 1 अगस्त को प्रात: 10.22 बजे तक रहेगी। चतुर्थी पूजन में चतुर्थी के चांद की पूजा की जाती है, इस लिहाज से 31 जुलाई की रात्रि में चतुर्थी तिथि शास्त्रोक्त मानी जाएगी। अन्य व्रत, त्योहार में उदय तिथि को मान्य किया जाता है।
भगवान गणेश की पूजा
संकट चतुर्थी के दिन व्रती दोपहर में 12 बजे भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इस दिन निराहार व्रत रखकर संकट चतुर्थी की कथा सुनी जाती है। सूर्यास्त के समय एक बार फिर भगवान गणेश की पूजा की जाती है और फिर रात्रि में चंद्र दर्शन करके चांद की पूजा की जाती है और व्रत खोला जाता है। एक वर्ष में 13 संकट चतुर्थी आती है।
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विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए कीजिए ये व्रत
जो लोग अपनी किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए संकट चतुर्थी का व्रत करते हैं उन्हें वर्ष की सभी 13 संकट चतुर्थी करना होती है, तभी इसका एक चक्र पूर्ण माना जाता है। शास्त्रों में इस व्रत को सर्वबाधा निवारण व्रत कहा गया है। 13 चतुर्थी पूर्ण होने के बाद व्रत का उद्यापन किया जाता है। इसमें 13 जोड़ों को यथाशक्ति भोजन आदि करवाकर दान-दक्षिणा दी जाती है। स्त्रियों को सुहाग की सामग्री भेंट की जाती है।
व्रत का प्रभाव
- सभी गृहस्थों को जीवन में कम से कम एक बार संकट चतुर्थी व्रत अवश्य करना चाहिए। इससे जीवन में कोई बाधा नहीं आती। सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।
- किसी विशेष कामना की पूर्ति के लिए संकट चतुर्थी व्रत का संकल्प लेकर इसे पूर्ण करना चाहिए। इससे कामना अवश्य पूरी होती है।
- भगवान श्री गणेश की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से मनुष्य में स्वाभाविक रूप से ज्ञान प्रवाहित होता है।
- ज्योतिष की दृष्टि से देखा जाए तो संकट चतुर्थी व्रत करने से नवग्रहों की शांति होती है। जीवन में शुभता आती है।
- जन्म कुंडली में यदि चंद्र बुरे प्रभाव दे रहा हो तो यह व्रत करने से चंद्र की अनुकूलता प्राप्त होती है।
- जीवनसाथी की स्वस्थता और दीर्घायु प्राप्ति के लिए पुरुष या स्त्री समान रूप से इस व्रत को कर सकते हैं।
- उच्च कोटि की संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत करना चाहिए।
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