Mushroom Farming : 42 करोड़ रुपये का निवेश, कुकुरमुत्ता की खेती में क्रांति की तैयारी, जानिए बदलाव की स्कीम
जम्मू-कश्मीर गत 40 महीनों से केंद्र शासित प्रदेश है। हालात में उल्लेखनीय सुधार और निवेश बढ़ने के दावों के बीच खेती-किसानी में क्रांति की तैयारी की जा रही है। 42 करोड़ रुपये के निवेश से मशरूम की खेती की तैयारी हो रही है।
Mushroom Farming मुनाफे का ऐसा विकल्प बनता जा रहा है जिसमें सरकारें भी मदद कर रही हैं। जम्मू-कश्मीर जैसा राज्य कृषि गतिविधियों के कारण बहुत चर्चित नहीं रहा। बदलते समय के साथ भारत के इस सबसे उत्तरी प्रदेश में भी अब खेती-किसानी का क्रेज बढ़ रहा है। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर सरकार प्रदेश में कृषि क्षेत्र में विविधता लाने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। इसी का नतीजा है 42 करोड़ का निवेश। किसानों की इनकम बेहतर हो इस मकसद से नवीनतम तकनीकों का सहारा लेकर मशरूम की खेती की पहल की गई है।
मशरूम अच्छे पैसों की गारंटी क्यों ?
रिपोर्ट्स में कृषि वैज्ञानिकों ने खेती-किसानी में नुकसान का जोखिम कम करने के लिए कृषि विविधीकरण को महत्वपूर्ण बताया है। मशरूम की खेती ऐसा ही एक विकल्प है। किसानों की आय बढ़ाने का महत्वपूर्ण साधन Mushroom Farming जलवायु परिवर्तन के बावजूद अच्छे उत्पादन की लगभग गारंटी देता है। बदलते वातावरण और मिट्टी के नेचर में बदलाव के बावजूद मशरूम की खेती सुरक्षित विकल्प इसलिए भी है क्योंकि मशरूम कंट्रोल एनवायरनमेंट यानी इनडोर फार्मिंग पद्धति का इस्तेमाल कर उगाया जाता है।
मशरूम का उत्पादन 3.5 गुना बढ़ेगा
Mushroom की खेती को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर सरकार ने पूरे केंद्र शासित प्रदेश में 'साल भर मशरूम की खेती को बढ़ावा देने' (PRYMC) संबंधी पूर्ण परियोजना लागू कर रही है। आधिकारिक बयान में कहा गया, जम्मू-कश्मीर का कृषि उत्पादन विभाग अगले तीन वर्षों में लगभग 42 करोड़ रुपये की लागत से मशरूम की खेती को प्रोमोट किया जाएगा। सरकार का अनुमान है कि इस परियोजना से मशरूम का उत्पादन 3.5 गुना बढ़ जाएगा। सरकार का कहना है कि PRYMC की मदद से मशरूम की खेती में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
गरीबी कम करने में भी मदद
मशरूम की खेती से जुड़ी परियोजना से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। नौकरी का सृजन तीन गुना बढ़ेगा। स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए 768 से अधिक नए उद्यम भी इस प्रक्रिया में बनाए जा रहे हैं। कृषि उत्पादन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने कहा, मशरूम की खेती राजस्व उत्पन्न करती है। इससे गरीबी कम करने में भी मदद मिलती है। मशरूम का उत्पादन खेती और मार्केटिंग के क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के ढेरों अवसर पैदा होते हैं। प्रसंस्करण व्यवसायों और श्रम-गहन प्रबंधन के अवसर प्रदान करता है।
मशरूम की खेती ग्रामीण महिलाओं के लिए फायदेमंद
मशरूम की खेती के लिए कम पूंजी और थोड़ी तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत होती है। यहां तक कि घर के अंदर छोटे पैमाने पर मशरूम उगाना और निवेश पर आसानी से उच्च रिटर्न अर्जित करना संभव है। कृषि सचिव ने बताया कि महिलाएं कम निवेश के साथ अपने घरों में मशरूम उगा सकती हैं। नतीजतन मशरूम की खेती ग्रामीण महिलाओं को अधिक ताकत देती है और गरीबी से लड़ने में भी मदद मिलती है। पूरे साल मशरूम की खेती को बढ़ावा देना उन 29 परियोजनाओं में से एक है। इन परियोजनाओं से केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के समग्र विकास में मदद मिलेगी।
मशरूम ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कुटीर उद्योग
जम्मू-कश्मीर प्रशासन की शीर्ष समिति की सिफारिश के बाद समिति की अध्यक्षता इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) के पूर्व महानिदेशक डॉ. मंगला राय कर रहे हैं। जम्मू के कृषि एवं किसान कल्याण निदेशक केके शर्मा के अनुसार, मशरूम ग्रामीण क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण कुटीर उद्योग है। यह छोटे और सीमांत किसानों, भूमिहीन मजदूरों और महिलाओं की आर्थिक बेहतरी की ओर ले जाता है। मशरूम नकदी फसल है इस नाते यह स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने का एक अच्छा साधन है।
मशरूम को तीन साल की अवधि तक प्रोत्साहन
मशरूम की खेती में शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (SKUAST) के सहयोग के बारे में निदेशक ने कहा कि पास्चुरीकृत खाद की उपलब्धता की कमी और असंगठित बाजार मशरूम उत्पादन में प्रमुख बाधाएँ थीं। परियोजना के तहत तीन साल की अवधि में 26 पाश्चयुरीकृत खाद बनाने वाली इकाइयाँ, 10 स्पॉन उत्पादन प्रयोगशालाएँ और 72 नियंत्रित वातानुकूलित फसल कक्ष (2000 बैग क्षमता) स्थापित किए जाएंगे। गैर परंपरागत क्षेत्रों में मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए 1.5 लाख अनुदानित पास्चुरीकृत कम्पोस्ट बैग मशरूम उत्पादकों के बीच वितरित किए जाएंगे। 300 महिला स्वयं सहायता समूहों (डब्ल्यूएसएचजी) की स्थापना के माध्यम से महिला सशक्तीकरण किया जाएगा।
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खेती की परिस्थितियों का दस्तावेज भी बनेगा
परियोजना के तहत चार कैनिंग इकाइयों के निर्माण और मशरूम उत्पादकों के बीच 60 सौर ड्रायर का वितरण भी किया जाएगा। इसके माध्यम से खराब होने वाली वस्तु का मूल्यवर्धन पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा। मशरूम की खेती को प्रोत्साहित करने की सरकारी योजना के तहत अनुसंधान और विकास के लिए 2.1 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। इसके तहत औषधीय मशरूम को बढ़ावा देने और मशरूम की नई स्ट्रेन लाने पर भी जोर दिया जाएगा। इसमें स्थानीय रूप से उपलब्ध सबस्ट्रेट्स का मानकीकरण भी किया जाएगा। मशरूम सबसे अच्छी तरह विकसित हों, ये सुनिश्चित करने के लिए खेती की परिस्थितियों पर एक दस्तावेज तैयार करने पर विशेष जोर दिया जाएगा। आने वाले दिनों में मशरूम के उत्पादन के अलावा निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।