इनसाइड स्टोरी: कारगिल में नहीं, कुपवाड़ा में शहीद हुए थे गुरमेहर के जांबाज पिता
छह अगस्त 1999 को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में शहीद हुए थे कैप्टन मनदीप सिंह। बेटी गुरमेहर कौर का दावा करगिल की जंग में मिली थी पिता को शहादत।
नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से गुरमेहर कौर के साथ ही एक और नाम सुर्खियों में है, वह नाम है शहीद कैप्टन मनदीप सिंह का। बेटी गुरमेहर का दावा है कि पिता कारगिल की जंग में शहीद हुए थे लेकिन हकीकत कुछ और है।
छह अगस्त 1999 को मिली शहादत
हम आपको जो भी बताने जा रहे हैं, उससे हमारा मकसद कैप्टन की शहादत को कम करके आंकना हरगिज नहीं है बल्कि उस झूठ को सामने लाना है जिसके दम पर कुछ लोगों पर गलत प्रभाव डालने की कोशिश हो रही है। कैप्टन मनदीप सिंह कारगिल की जंग में शहीद नहीं हुए थे। उन्हें छह अगस्त 1999 को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में शहादत हासिल हुई थी। कारगिल की जंग 26 जुलाई 1999 को खत्म हो चुकी थी।
गुरमेहर सिर्फ दो वर्ष की थीं
जिस समय कैप्टन मनदीप शहीद हुए बेटी गुरमेहर दो वर्ष की ही थीं। हमने कई तरह से कैप्टन मनदीप के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की। जो जानकारियां हमें मिली उसके मुताबिक कैप्टन कुपवाड़ा में उस समय शहीद हो गए थे जब आतंकियों ने चार राष्ट्रीय राइफल्स के कैंप पर हमला बोल दिया था।
कीर्ति चक्र से हुए थे सम्मानित
कैप्टन मनदीप सिंह इंडियन आर्मी की 49 आर्म्ड डिविजन रेजीमेंट के साथ थे। छह अगस्त को आतंकियों ने आर्मी कैंप पर हमला बोल दिया था। इस हमले में कैप्टन मनदीप ने बहादुरी से आतंकियों का सामना किया और उन्हें मार गिराया। उनकी बहादुरी के लिए उन्हें सर्वोच्च पुरस्कार कीर्ति चक्र से भी सम्मानित किया गया था।
1991 में हुए कमीशंड
कैप्टन मनदीप सिंह जालंधर के डीएवी कॉलेज के छात्र रह चुके थे। वर्ष 1991 में वह सेना की 49 आर्म्ड डिविजन रेजीमेंट में कमीशंड हुए। उनके दोस्त उन्हें हैरी के नाम से बुलाते थे। जब कुपवाड़ा में आतंकी हमला हुआ तो वह 4 राष्ट्रीय राइफल्स के साथ अटैच्ड थे।
आरआर के साथ थे कैप्टन मनदीप
आर्मी की यह यूनिट हमेशा काउंटर इनसर्जेंसी ऑपरेशंस के लिए जानी जाती है। वह एक बॉडी बिल्डर भी रहे चुके थे और कॉलेज के समय में उन्होंने मिस्टर पंजाब और मिस्टर जालंधर जैसे कई कॉम्पटीशंस में हिस्सा लिया था। गुरमेहर के अलावा उनकी एक बहन बानी भी हैं और उनकी मां राजविंदर कौर लुधियाना में असिस्टेंट एक्साइज एंड टैक्सेशन ऑफिसर हैं।
शहादत को किया था दुनिया ने सलाम
जिस समय वह शहीद हुए उस समय कई मीडिया ऑर्गनाइजेशंस ने उनकी शहादत के बारे में लिखा था। साथ ही कारगिल के शहीदों की जो लिस्ट हमें मिली उसमें भी उनका नाम नहीं है। पिछले वर्ष मई में गुरमेहर का वीडियो रिलीज हुआ था और इस वीडियो के बाद उन्हें पाकिस्तान से भी काफी तालियां मिली थीं।