पंजाब: इन जिलों में ज्यादा जलाई जाती है पराली, किसानों को अब यूं जागरुक करेगी सरकार
लुधियाना। पंजाब में किसानों ने पराली को आग लगाने की शुरूआत कर दी है। सीमावर्ती जिलों में यह सिलसिला 15 सितंबर से शुरू हो गया है। इसी बीच राज्य सरकार आने वाले दिनों में पराली की आग से गंभीर होने वाली पर्यावरण की स्थिति से बचने के लिए किसानों को जागरूक करने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही कहा है कि किसानों को आर्थिक सहायता नहीं दी जाएगी। जानकार कहते हैं कि किसानों की जिद के आगे असल चुनौती यह है कि क्या सरकार इस वर्ष पराली जलने के मामलों में कमी लाकर पंजाब की तस्वीर बदल पाएगी या नहीं।
राज्य में हर वर्ष करीब 200 लाख टन पराली पैदा होती है। इस वर्ष राज्य में करीब 31.33 लाख हेक्टेयर रकबे में धान की फसल लगाई गई है। विशेषज्ञ बताते हैं कि सरकार की विभिन्न योजनाओं और जागरूकता के बावजूद कुल पराली में से केवल 20 से 25 प्रतिशत पराली का ही निस्तारण हो रहा है। शेष करीब 150 से 160 लाख टन पराली को आग लगा दी जाती है। राज्य में पिछले दो वर्ष में पराली जलाने से स्माग की स्थिति बनी रही। बड़े पैमाने पर खेतों में पराली जलाने के पीछे किसानों का तर्क है कि वे मजबूरी में ऐसा करते हैं। किसानों के पास पराली प्रबंधन को लेकर मशीनरी का अभाव है।
मशीनें
महंगी
होने
के
कारण
बढ़ी
समस्या
पंजाब
में
पराली
प्रबंधन
में
इस्तेमाल
होने
वाली
हैप्पी
सीडर,
रिवर्सिबल
एमबी
पुलाव,
सुपर
एसएमएस,
चौपर,
मल्चर
सहित
अन्य
मशीनों
की
जरूरत
के
मुकाबले
बहुत
ज्यादा
कमी
है।
मशीनें
महंगी
होने
के
कारण
हर
किसान
इन्हें
खरीदने
में
सक्षम
नहीं
है
और
पराली
निस्तारण
का
खर्च
भी
खुद
नहीं
उठाना
चाहते।
वह
सरकार
से
2500
रुपये
प्रति
एकड़
की
दर
से
सहायता
मांग
रहे
हैं
लेकिन
सरकार
ने
मना
कर
दिया
है।
कृषि
मंत्री
कुलदीप
सिंह
धालीवाल
कह
चुके
हैं
कि
27
सितंबर
से
प्रदेश
में
किसानों
को
जागरूक
करने
की
मुहिम
शुरू
की
जाएगी।
इसके
लिए
कालेज
और
यूनिवर्सिटी
के
विद्यार्थियों
का
सहयोग
लिया
जाएगा।
अब
देखना
यह
होगा
कि
वर्षो
से
पराली
निस्तारण
के
लिए
आर्थिक
मदद
की
मांग
कर
रहे
किसान
क्या
सरकार
की
अपील
मानेंगे।
पराली
निस्तारण
के
लिए
पंजाब
में
यह
हैं
प्रबंध
पंजाब
कृषि
विश्वविद्यालय
के
अनुसार
राज्य
में
पराली
पर
आधारित
16
बायोगैस
प्लांट
लगाए
गए
हैं।
यहां
पैदा
होने
वाली
बायोगैस
का
घेरलू
और
कामर्शियल
इस्तेमाल
हो
रहा
है।
एक
प्लांट
से
हर
माह
चार
से
पांच
ब्और
वर्ष
में
50
से
60
के
बायोगैस
सिलेंडर
प्राप्त
हो
रहे
हैं।
कृषि
विशेषज्ञों
का
कहना
है
कि
हम
धार्मिक
स्थानों
के
संचालकों
को
जागरूक
कर
रहे
हैं।
वह
लंगर
के
लिए
पराली
पर
आधारित
बायोगैस
प्लांट
लगा
एलपीजी
का
खर्च
बचा
सकते
हैं।
11
बायोमास
बिजली
परियोजनाएं
कार्यशील
पंजाब
एनर्जी
डिवेलपमेंट
एजेंसी
(पेडा)
के
अनुसार
राज्य
में
97.50
मेगावाट
क्षमता
वाले
वाली
कुल
11
बायोमास
बिजली
परियोजनाएं
कार्यशील
हैं।
इनमें
से
मुक्तसर
व
होशियारपुर
में
दो-दो,
अबोहर,
जालंधर,
मानसा,
मोगा,
फाजिल्का,
फरीदकोट
और
फिरोजपुर
में
एक-एक
प्लांट
कार्य
कर
रहा
है।
इन
प्लांटों
मे
प्रति
वर्ष
8.8
लाख
टन
पराली
की
खपत
हैं।
जालंधर
व
फतेहगढ़
साहिब
में
बायोमास
बिजली
परियोजनाएं
शुरू
होंगी।
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