ओडिशा ने राज्य ओबीसी सूची में 22 जातियों को किया शामिल
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि चूंकि ओडिशा में कभी जाति जनगणना नहीं हुई, इसलिए इन 22 जातियों और समुदायों की संख्या बताना मुश्किल है, लेकिन वे राज्य की आबादी का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
भुवनेश्वरः ओडिशा में नवीन पटनायक सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए एसईबीसी सूची में 22 पिछड़ी जातियों को शामिल करने के फैसले को मंजूरी दे दी है। उन्होंने ये फैसला लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले किया है। ओडिशा के मुख्य सचिव सुरेश महापात्र ने कहा कि 22 जातियों/समुदायों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल किया गया है, लेकिन उन्हें ओडिशा एसईबीसी सूची में शामिल नहीं किया गया था।
इस मामले पर कैबिनेट के फैसले के बाद विकास आयुक्त पीके जीना ने कहा कि इस निर्णय से 22 जातियों के लोगों को सभी सामाजिक कल्याण और उनके लाभ को उठाने में मदद मिलेगी। इससे उनका समावेशी विकास होगा और उन्हें विकास की मुख्य धारा में लाया जा सकेगा। ओडिशा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (OSCBC) ने पिछले साल अक्टूबर में नवीन पटनायक सरकार को SEBC सूची में 22 जातियों को शामिल करने की सिफारिश की थी
जिन 22 जातियों को एसईबीसी लिस्ट में शामिल किया गया है, उनमें बढ़ई, बिंदनी, बिंदानी, बाराजी, बरोई, शंखुआ तांती, गोला तांती, लज्य निवारण, हांसी तांती, कपाड़िया, गंधमाली, थानापति, पंडारा माली, पनियार माली, पंडरिया, ओडी-खंडायत, बयालिशा, ओडा, ओडा-पाइका, ओडा-पैको, हलदिया-तेली और कालंदी शामिल हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि चूंकि राज्य ने कभी जाति जनगणना नहीं की है, इसलिए इन 22 जातियों और समुदायों की संख्या बताना मुश्किल है, लेकिन वे राज्य की आबादी का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
राज्य एसईबीसी में पहले से ही 209 जातियां/समुदाय हैं जो सरकारी नौकरियों में 11.25% आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। हालांकि राज्य ने पहले एसईबीसी के लिए आरक्षण प्रतिशत 27 निर्धारित किया था, लेकिन उड़ीसा उच्च न्यायालय द्वारा 2017 में ओडिशा आरक्षण पदों और सेवाओं (सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए) अधिनियम को रद्द करने के बाद इसे घटाकर 11.25 कर दिया गया था। फरवरी 2020 में राज्य सरकार ने ओडिशा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया जिसने मई 2021 में पिछड़ी जाति के सर्वेक्षण की घोषणा की थी।