झारखंडः 70.40 करोड़ रुपए मिले; मानगो में बनेगा अंतरराज्यीय बस टर्मिनल
रांची,30 सिंतंबर: एनएच-33 पर मानगो में वसुंधरा एस्टेट के समीप जल संसाधन विभाग के तहत एसएमपी (सुवर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना) की भूमि पर इंटर स्टेट बस टर्मिनल (आईएसबीटी) बनेगा। झारखंड मंत्रिमंडल ने गुरुवार को आईएसबीटी के
रांची,30 सिंतंबर: एनएच-33 पर मानगो में वसुंधरा एस्टेट के समीप जल संसाधन विभाग के तहत एसएमपी (सुवर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना) की भूमि पर इंटर स्टेट बस टर्मिनल (आईएसबीटी) बनेगा। झारखंड मंत्रिमंडल ने गुरुवार को आईएसबीटी के लिए 70.40 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की है। इस राशि से 9.88 एकड़ भूमि पर आईएसबीटी निर्माण होगा। करीब सात साल के प्रयास के बाद आईएसबीटी के लिए जल संसाधन विभाग की ओर से भूमि के लिए एनओसी जारी की गई है। डीपीआर बनने के बाद विभागीय स्तर पर टेंडर निकाल कर एजेंसी (ठेकेदार) का चयन किया जाएगा। निर्माण कार्य पूरा होने में 3 से 4 साल लग सकते हैं। यहां एक साथ 150 बसों के खड़े होने के लिए योजना बनाई जाएगी।
एक साथ 150 बसें खड़ी होंगी, 3 से 4 साल में बनकर तैयार होगा
अभी यह व्यवस्था
मानगो
स्टैंड
से
रोज
बसें
खुलती
हैं-
300
बिहार-
70
ओडिशा-25
बंगाल-
35
यूपी
-
01
क्या
होगा
लाभ
शहर
से
बसों
के
प्रवेश
पर
रोक
लगने
से
मानगो
पुल
पर
लगने
वाले
जाम
से
मुक्ति
मिलेगी।
झारखंड
के
विभिन्न
जिलों
के
लिए
बसों
का
परिचालन
और
दूसरे
राज्यों
के
लिए
चलने
वाली
बसों
की
पार्किंग
यहां
बंद
हो
जाएगी।
वेटिंग
हॉल,
यात्रियों
के
ठहरने
के
लिए
डोरमेट्री-होटल,
महिला-पुरुष
शौचालय,
स्नानघर,
फूड
कोर्ट,
कैब-ऑटो
के
लिए
पार्किंग
स्टैंड,
वर्कशाप।
2015
में
शुरू
हुआ
था
प्रयास,
जिसके
बाद
कई
जगह
चिन्हित
की
गई
जमीन
शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए 2015 में तत्कालीन डीसी डॉ अमिताभ कौशल ने लंबी दूरी की बसों के लिए शहर से बाहर बस स्टैंड ले जाने की योजना बनाई थी। इसके लिए मानगो में वसुंधरा एस्टेट के समीप एसएमपी कॉलोनी के पास प्रशासन ने जमीन चिन्हित की थी। बाद में बालीगुमा पुल के समीप एक सेवानिवृत पुलिस अधिकारी द्वारा अतिक्रमित और भिलाई पहाड़ी के समीप भूमि का चयन किया गया था। डॉ अमिताभ कौशल के तबादले के बाद डीसी बने अमित कुमार के कार्यकाल में आईएसबीटी के लिए पिपला के समीप जमीन चिन्हित की गई। यहां आईएसबीटी के साथ एमजीएम थाना व पटमदा डीएसपी कार्यालय भी बनाया जाना था। लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण मामला फंस गया। अब इन भवनों को दूसरे स्थान पर बनाया जा रहा।