उत्तराखंड में अगले महीने लागू हो सकती है रोजगार सृजन नीति, मांगे गए सुझाव
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पूरे प्रदेश में जिलेवार स्वरोजगार शिविर लगाए जा रहे हैं।
देहरादून, 20 सितंबर: प्रदेश की रोजगार सृजन नीति जल्द आकार लेने जा रही है। अगले माह तक इस नीति को लागू किया जा सकता है। सरकार ने प्रस्तावित नीति के अंतर्गत रोजगार सृजन के संबंध में विशेषज्ञों, बुद्धिजीवियों और आम नागरिकों से 30 सितंबर तक सुझाव देने को कहा है। कोरोना महामारी के बीच प्रदेश में रोजगार खासतौर पर स्वरोजगार को बढ़ाने पर सरकार जोर दे रही है। ग्राम्य विकास, समाज कल्याण, पर्यटन, कृषि, ऊर्जा, उद्योग समेत कई सरकारी विभागों को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत स्वरोजगार देने के लिए लक्ष्य दिया जा चुका है। स्वरोजगार की ये कसरत सरकारी विभागों में रिक्त 22 हजार से ज्यादा पदों पर भर्ती प्रक्रिया से अलग है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पूरे प्रदेश में जिलेवार स्वरोजगार शिविर लगाए जा रहे हैं।
सरकारी सेक्टर के साथ ही निजी क्षेत्र का सहयोग भी स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने को लिया जा रहा है। मुख्यमंत्री धामी इस संबंध में विभिन्न उद्योगों के मानव संसाधन प्रबंधकों के साथ बैठक कर चुके हैं। बड़े, मध्यम, लघु एवं कुटीर उद्योगों को अगले छह महीने में 25 से 50 हजार रोजगार मुहैया कराने का लक्ष्य दिया गया है। स्वरोजगार की दिशा में इन सभी प्रयासों को समन्वित कर राज्य की रोजगार सृजन नीति बनाई जा रही है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर कोरोना वायरस की चुनौती के बीच उत्तराखंड की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर इसे तैयार किया जा रहा है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अगले माह अक्टूबर में इस नीति को जारी करने के पक्ष में है। नीति का निर्माण नियोजन विभाग के अंतर्गत सेंटर फार पब्लिक पालिसी एंड गुड गवर्नेंस (सीपीपीजीजी) को सौंपा गया है। प्रस्तावित नीति में पर्यटन, कृषि, उद्यान, दुग्ध, पशुपालन, मत्स्य, उच्च व तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास, आयुष, सूचना प्रौद्योगिकी, उद्यमिता, उद्योग जैसे क्षेत्र चिह्नीत किए गए हैं।
एक दर्जन से अधिक इन क्षेत्रों में रोजगार के सृजन के लिए अकादमिक एवं शोध संस्थानों, सिविल सोसाइटी, विषय विशेषज्ञों और आम नागरिकों से सुझाव मांगे गए हैं। आनलाइन या आफलाइन, दोनों तरह से सुझाव दिए जा सकते हैं। नियोजन सचिव वीबीआरसी पुरुषोत्तम का कहना है कि सुझावों के आधार पर रोजगार नीति को व्यवहारिक व ठोस रूप देने में मदद मिलेगी।
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