
भिवानी में रैली कर एक तीर से कई निशान साधेंगे दुष्यंत चौटाला

आमतौर पर ऐसा संयोग प्रदेश की राजनीति में कम ही देखने को मिलता है, लेकिन जजपा ने इसे संभव कर दिखाया है। चार साल पहले अस्तित्व में आई जजपा पिछले तीन वर्षों से सत्ता में है। हरियाणा की राजनीति में पांव जमाने के लिए बरसों लग जाते हैं, लेकिन दुष्यंत चौटाला की बेहद कम समय में प्रदेश में व्यापक स्वीकार्यता हो गई है। रैली की तैयारियों के लिए अम्बाला, भिवानी, फरीदाबाद, पलवल सहित कई जिलों में वर्करों की बैठकें कर दुष्यंत पहले ही यह संदेश दे चुके हैं कि न तो वे कमजोर पड़े हैं और न ही उन्होंने पार्टी को कमजोर होने दिया है। हालांकि किसान आंदोलन के दौरान जरूर यह लगने लगा था कि जजपा कमजोर होती जा रही है।
उस समय नेताओं का विरोध भी हो रहा था। विरोध की जद में जजपा के साथ सत्तारूढ़ भाजपा भी शामिल थी। इसके बाद जब फिर से पार्टी के राजनीतिक कार्यक्रम शुरू हुए और उनमें भीड़ जुटने लगी तो 'कमजोर' दिखने वाली 'कड़ी' मजबूत होती नज़र आने लगी। भिवानी में पार्टी के स्थापना दिवस के नाम पर रैली करने के पीछे भी राजनीतिक कारण हैं। भिवानी संसदीय क्षेत्र जजपा सुप्रीमो व पूर्व सांसद डॉ़ अजय सिंह चौटाला की कर्मस्थली रही है। दुष्यंत ने भिवानी में रैली का निर्णय भी इसलिए लिया ताकि पिता की कर्मस्थली को मजबूत किया जा सके। चर्चा तो यह भी है कि दुष्यंत अपने छोटे भाई दिग्विजय सिंह चौटाला के लिए भी ग्राउंड तैयार कर रहे हैं।
उनकी नजरें भिवानी पर हैं। बेशक, रैली में पूरे प्रदेश से भीड़ जुटाने की कोशिश है, लेकिन बड़ा फोकस भिवानी, सोनीपत और हिसार लोकसभा सीटों पर रहने वाला है। रैली के जरिये दुष्यंत गठबंधन सहयोगी भाजपा को भी संदेश देने की कोशिश करेंगे। हालांकि भाजपा नेतृत्व को इस बात का अहसास है कि इनेलो में हुए बिखराव के बाद अस्तित्व में आई जजपा के पास अच्छा वोट बैंक है। भाजपा लगातार दूसरी बार सत्ता में है। 2024 के विधानसभा चुनावों तक क्या राजनीतिक हालात होंगे, इस बारे में फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगी। ऐसे में भाजपा ऐसा कोई संदेश नहीं देना चाहेगी, जिससे एनडीए की इमेज पर किसी तरह का असर पड़े।
पुरुष
ट्रैक्टर
काफिले
तो
महिलाएं
हरी
चुनरी
ओढकर
गीत
गाते
हुए
पहुंचेंगे
रैली
स्थल:
दिग्विजय
चौटाला
गांव-गांव जा रहे दिग्विजय
भिवानी की कमान दिग्विजय सिंह चौटाला ने खुद ही संभाली हुई है। वे गांव-गांव जाकर अपने पिता के समर्थकों से मिल रहे हैं और सभी को फिर से जोड़ने की कोशिश में जुटे हैं। पार्टी के छात्र संगठन इनेसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे दिग्विजय सिंह अभी भी छात्रों के चुनावों में काफी एक्टिव रहते हैं। इस नये वोट बैंक के जरिये वे जजपा को फिर से अपना समर्थन दिलाने की कोशिश में हैं। पार्टी को अंदरखाने भी यह लगता है कि जींद, भिवानी (दादरी सहित) और हिसार में आने वाले चुनावों में पार्टी का अच्छा प्रदर्शन रह सकता है। बाढ़डा के अलावा किसी और सीट पर दादरी-भिवानी में पार्टी को जीत हासिल नहीं हो पाई। हालांकि पूर्व में लोहारू, दादरी और बवानीखेड़ा में परिवार की पार्टी के विधायक रहे हैं।