सीएम बघेल बोले- छत्तीसगढ़ बनेगा जैविक राज्य, हरित प्रदेश के रूप में होगी ब्रांडिंग
रायपुर । छत्तीसगढ़ को जैविक राज्य बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। इसके लिए राज्य में हरित और टिकाऊ अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत करने के प्रयास किए जाएंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसके लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रदेश की हरित राज्य के रूप में ब्रांडिंग, जैविक उत्पादों के मार्केट लिंकेज, प्रशिक्षण के माध्यम से स्व-सहायता समूहों की क्षमता निर्माण, जिलों की विशेषता के अनुसार विकास और स्थानीय निवासियों को जोड़कर आर्थिक मूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ सिक्किम के बाद दूसरा जैविक राज्य साबित हो सकता है।
मुख्यमंत्री बघेल की अध्यक्षता में सोमवार को उनके निवास कार्यालय में प्रदेश में रि-जनरेटिव डेवलपमेंट को गति देने के लिए गठित ग्रीन काउंसिल की पहली बैठक हुई। इसमें पर्यावरणीय मुद्दे को हल करने के लिए परिषद के दृष्टिकोण और मुख्य गतिविधियों को अंतिम रूप दिया गया।
सीएम ने कहा कि पुनर्योजी विकास (रिजनरेटिव डेवलपमेंट), सतत विकास से अधिक प्रगतिशील अवधारणा है। इसमें उपलब्ध संसाधनों के समुचित उपयोग के साथ-साथ संसाधनों की गुणवत्ता को बढ़ाने के साथ न्यू एज ग्रीन ईकोनामी (नए जमाने की हरित अर्थव्यवस्था) के तहत लाइवलीहुड (आजीविका) से स्थानीय लोगों की आय में वृद्धि के लिए कार्य किया जाता है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ संभवत: देश का पहला राज्य है, जहां ग्रीन काउंसिल का गठन किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पिछले तीन वर्षों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए पर्यावरण हितैषी कई योजना शुरू की गई है। इनमें नरवा, गरुवा, घुरुवा, बाड़ी योजना, गोधन न्याय योजना, गोठानों में गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार करने का कार्य, फसल कटाई के बाद खेतो में बचे पैरे को एकत्र कर उसका मवेशियों के चारे के रूप में उपयोग को प्रोत्साहित करना शामिल है।
साथ ही मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत वन क्षेत्रों में विस्तार के साथ-साथ स्थानीय वनवासियों की आय में वृद्धि, लघु वनोपजों में वेल्यू एडिशन (मूल्य संवर्धन) प्रारंभ की गई हैं, जो पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक सशक्तिकरण को गति दे रही हैं। इन योजनाओं की देश-विदेश में सराहना की जा रही है।
कार्बन
उत्सर्जन
में
कमी
लाने
की
कोशिश
मुख्यमंत्री
ने
बैठक
में
कार्बन
उत्सर्जन
(प्रदूषण)
के
संबंध
में
कहा
कि
छत्तीसगढ़
में
वर्मी
कंपोस्ट
के
उपयोग
से
हम
जैविक
खेती
की
ओर
बढ़
रहे
हैं।
पराली
न
जलाकर
उसका
उपयोग
चारे
के
रूप
में
करने
से
कार्बन
उत्सर्जन
में
कमी
ला
रहे
हैं।
विशेषज्ञ कंपनियों की सेवा लेने पर विचार
स्व-सहायता समूह जो उत्पाद तैयार कर रहे हैं, उनकी मार्केटिंग और प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञ कंपनियों की सेवाओं को लेने का प्रयास किया जाए। सीएम ने कहा कि कई स्व-सहायता समूह बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। उन्हें प्रशिक्षण देकर नया कौशल सिखाया जा सकता है। उन्होंने इस परिप्रेक्ष्य में कहा कि स्व-सहायता समूहों के माध्यम से सोलर पैनल और जड़ी-बूटियों से वनौषधियां तैयार कराई जा सकती है। कोरबा में वनौषधियों के क्षेत्र में स्व-सहायता समूह अच्छा कार्य कर रहे हैं। वनौषधियों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा बाजार है।
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