Shattila Ekadashi 2021: षटतिला एकादशी व्रत आज, जानिए क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?
Shattila Ekadashi 2021: माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी इस साल 7 और 8 फरवरी 2021 को रहेगी। दशमी तिथि का क्षय है और 7 फरवरी को एकादशी तिथि पूरे दिन रहते हुए 8 फरवरी को सूर्योदय पूर्व प्रात: 4.47 बजे तक रहेगी। इसलिए स्मार्त मतावलंबी 7 फरवरी को और वैष्णव मतावलंबी 8 फरवरी को एकादशी का व्रत रखेंगे। अपने नाम के अनुरूप षटतिला एकादशी के दिन तिल को छह प्रकार से प्रयोग में लाया जाता है। इस दिन तिल का उबटन लगाना, तिल मिश्रित जल से स्नान करना, तिल से तर्पण करना, तिल से हवन करना, तिल का दान करना और तिल का सेवन करना शामिल है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु का तिल से पूजन किया जाता है। इससे समस्त प्रकार के सुख-वैभव, भोग और मोक्ष प्राप्त होते हैं।
कैसे करें षटतिला एकादशी व्रत
किसी भी एकादशी के व्रत में संयमित जीवन का बड़ा महत्व होता है। व्रत से एक दिन पूर्व ही व्रती को संकल्प लेकर काम, क्रोध, लोभ, मोह से दूर हो जाना चाहिए। खानपान पर, निद्रा पर, भोग विलास से व्रती को दूर हो जाना चाहिए। एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व जागकर, उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान भुवन भास्कर को जल का अर्घ्य अर्पित करें। पूजा स्थान में साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनकर पहले नित्य पूजा करें, फिर एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। एकादशी व्रत का संकल्प लें और विधि-विधान से पूजन करें। विष्णुजी को तिल से बनी मिठाई का नैवेद्य लगाएं। एकादशी व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। एक मिट्टी, तांबे या कांसे के पात्र में तिल भरकर उसका पूजन करें। सुख-सौभाग्य की कामना के साथ यह पात्र किसी ब्राह्मण को दान दें। दूसरे दिन द्वादशी के दिन व्रत का पारण करें।
यह पढ़ें: Hindu Calendar: ये हैं फरवरी 2021 के व्रत-त्योहार, जानिए पूरी लिस्ट यहां
षटतिला एकादशी व्रत के लाभ
- इस एकादशी में तिल का प्रयोग किया जाता है। तिल स्वास्थ्यवर्धक होती है। इससे शारीरिक आरोग्यता की प्राप्ति होती है। रोगों से मुक्ति मिलती है और आयु में बढ़ोतरी होती है।
- इस एकादशी के व्रत से संपूर्ण सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं। धन संपत्ति का अभाव दूर होता है।
- इस व्रत को पति-पत्नी को साथ में करने के निर्देश शास्त्रों में दिए हुए है।
एकादशी व्रत कब से कब तक
- एकादशी तिथि प्रारंभ 7 फरवरी प्रात: 6.26 बजे से
- एकदशी तिथि पूर्ण 8 फरवरी प्रात: 4.47 बजे तक
- पारणा स्मार्त के लिए 8 फरवरी दोपहर 1.49 से 4.04 बजे तक
- पारणा वैष्णव के लिए 9 फरवरी प्रात: 7.02 से 9.18 बजे तक
यह पढ़ें: कुंडली मिलान में कब निरस्त हो जाता है नाड़ी दोष, जानिए 3 नियम