उत्तम संतान सुख और आयु वृद्धि के लिए करें पुत्रदा एकादशी
नई दिल्ली। शास्त्रों में श्रावण मास में आने वाली दोनों एकादशियों का महत्व दोगुना बताया गया है क्योंकि इस एकादशी में भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पवित्रा एकादशी कहा जाता है। पवित्रा एकादशी 11 अगस्त रविवार को आ रही है। शास्त्रों के अनुसार पवित्रा एकादशी का व्रत करने और इसकी कथा श्रवण करने से वाजपेयी यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। इस एकादशी के प्रभाव से नि:संतान दंपतियों को उच्च कोटि की संतान का सुख प्राप्त होता है। इस एकादशी का व्रत रखने से व्रती और उसके संपूर्ण परिवार को धन, संपत्ति, सुख, वैभव, मान-सम्मान, आयु और आरोग्य की प्राप्ति होती है। चूंकि इस व्रत के प्रभाव से संतान की प्राप्ति होती है इसलिए कुछ शास्त्रों में इसे पुत्रदा एकादशी भी कहा गया है।
कैसे करें पवित्रा एकादशी की पूजा
पवित्रा एकादशी के दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है। सुबह स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके नारायण का ध्यान करें। समस्त पूजन सामग्रियों से भगवान नारायण का पूजन करके एकादशी व्रत का संकल्प लें। दिनभर निराहार रहें। शाम के समय फल, फूल, मिष्ठान्न्, श्रीफल, पान, सुपारी, लौंग आदि सामग्रियों से एक बार पुन: पूजन कर कथा सुनें और फलाहार ग्रहण करें। उत्तर भारत में इस दिन पवित्र नदियों में दीप-दान का भी महत्व है। इस एकादशी के पूरे दिन मन ही मन भगवान विष्णु का ध्यान करते रहें। मन में बुरे विचार ना आने दें। मन, वचन और क्रिया से किसी के प्रति द्वेष ना रखें। दूसरे दिन द्वादशी के दिन प्रात:काल स्नानादि करके पूजन कर ब्राह्मण दंपति को भोजन करवाकर सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा प्रदान करें और स्वयं व्रत खोलें।
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पवित्रा एकादशी व्रत कथा
ग्रंथों में वर्णित एकादशी कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक नगर में राजा सुकेतुमान राज्य करते थे। राज की कोई संतान नहीं थी। इसलिए वह हमेशा चिंताग्रस्त और परेशान रहते थे। एक दिन राजा सुकेतुमान वन की ओर चल दिए। वन में चलते हुए वे अत्यंत घने वन में चले गए। उन्हें बहुत प्यास लगने लगी। वे जल की तलाश में वन में और अंदर की ओर चले गए, जहां उन्हें एक सुंदर सरोवर दिखाई दिया। राजा ने देखा कि सरोवर के पास ऋ षियों के आश्रम बने हुए हैं और बहुत से मुनि वहां वेदपाठ कर रहे हैं।
श्रीनारायण की पूजा कीजिए
राजा ने सभी मुनियों को सादर प्रणाम किया और उनके इस तरह एकत्रित होने का कारण पूछा। एक ऋ षि ने कहा कि वे विश्वेदेव हैं। आज पवित्रा एकादशी है, इसलिए हम अपने आराध्य देव श्रीनारायण की पूजा करने के लिए सरोवर के निकट आए हैं और स्नान करके उनका पूजन करेंगे। राजा ने पवित्रा एकादशी के संबंध में ऋषियों से पूछा कि इससे क्या होता है। विश्वेदेव ने राजा सुकेतुमान को बताया कि इस एकादशी के प्रताप से नि:संतान दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। सुख और ऐश्वर्य की चाह रखने वालों को ऐश्वर्यशाली जीवन प्राप्त होता है और मोक्ष की चाह से इस व्रत को करने वाले को श्रीनारायण अपने चरणों में स्थान देते हैं। यह सुनकर राजा ने कहा कि हे विश्वेदेवगण यदि आप सभी मुझ पर प्रसन्न् हैं तो कृपा कर मुझे इस एकादशी व्रत की विधि बताएं और संतान की प्राप्ति का आशीर्वाद प्रदान करें। मुनियों ने राजा को पवित्रा एकादशी व्रत की विधि बताई। उनके बताए अनुसार राजा ने व्रत किया और उन्हें संतान की प्राप्ति हुई।
पवित्रा एकादशी का समय
- एकादशी तिथि प्रारंभ 10 अगस्त को प्रात: 10.08 बजे से
- एकादशी तिथि समाप्त 11 अगस्त को प्रात: 10.52 बजे तक
- पारण का समय 12 अगस्त को प्रात: 6.10 से 8.37 तक
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