Magh Purnima 2023: माघ पूर्णिमा आज, जानिए चंद्रदेव की क्यों होती है पूजा?
आज के दिन चंद्रमा की विशेष पूजा करने से इंसान को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है, आज चांद बेहद सुंदर और अपनी पूरी कला में होता है।
Magh Purnima 2023: आज माघ पूर्णिमा है, आज के स्नान के साथ ही माघ माह का समापन हो जाएगा। जो लोग पूरे माह पवित्र नदियों में स्नान नहीं कर पाए हैं, उन्हें आज जरूर पवित्र नदियों में डुबकी लगानी चाहिए , अगर वो ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें आज अपने नहाने वाले पानी में गंगा जल की कुछ बूंदे डालकर जरूर स्नान करना चाहिए। आज दान-पुण्य का दिन है, आज के दिन लोगों को तिल का दान करना चाहिए, ऐसा करने से घर में सुख-शांति का तो वास होता ही है, साथ ही इंसान को सारे कष्टों का अंत होता है। माघ माह इंसान को संयम, धैर्य और चिंतन प्रदान करती है। इसी वजह से आज सुबह से ही लोग पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं।
माघ पूर्णिमा का मूहूर्त
आपको बता दें कि माघ पूर्णिमा का प्रारंभ 04 फरवरी की रात 09 बजकर 29 मिनट पर हो चुका है और इसका अंत आज रात 11 बजकर 58 मिनट पर होगा। जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07 बजकर 07 से 12 बजकर 13 मिनट तक का है। आज के दिन चंद्रमा की विशेष पूजा करने से इंसान को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है, आज चांद बेहद सुंदर और अपनी पूरी कला में होता है, माना जाता है कि आज के दिन चंद्रमा की पूजा करने वाले इंसान को शीतलता मिलती है और वो अपने सारे दुखों से मुक्त हो जाता है, जो लोग अविवाहित हैं उन्हें चंद्रमा की पूजा करने से मन के मुताबिक जीवनसाथी मिलता है और जिनका वैवाहिक जीवन सही ना चल रहा हो, वो आज के दिन चंद्रमा की पूजा जरूर करें, ऐसा करने से पति-पत्नी के बीच के गिले-शिकवे दूर हो जाते हैं और उनके बीच प्रेम का जन्म होता है।
पूजा विधि
- आज के दिन सबसे पहले नहा-धोकर, व्रत का संकल्प लें।
- फिर चंद्रमा की तस्वीर रखकर उनकी पूजा करें।
- गरीबों को दान दें।
- शाम को चंद्रमा को अर्ध्य दें।
- आरती करें और प्रसाद बांटे।
- फिर खुद प्रसाद खाकर अपना उपवास तोड़े।
इन मंत्रों का जाप पूजा के दौरान करने से दोहरे फल की प्राप्ति होती है
- ऊं ऐं क्लीं श्रीं।
- श्वेतः श्वेताम्बरधरः श्वेताश्वः श्वेतवाहनः।
- गदापाणि द्विर्बाहुश्च कर्तव्योः वरदः शशिः।
- शशि, मय, रजनीपति, स्वामी। चन्द्र, कलानिधि नमो नमामी।
- राकापति, हिमांशु, राकेशा। प्रणवत जन नित हरहु कलेशा।
- सोम, इन्दुश्, विधु, शान्ति सुधाकर। शीत रश्मि, औषधी, निशाकर।
- तुमहीं शोभित भाल महेशा। शरण-शरण जन हरहु कलेशा।
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