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Magh Purnima 2021: पवित्र नदियों में करें स्नान, पाएं सहस्रकोटि पुण्य फल

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। वर्ष के सबसे शुभ और पवित्र माह में से एक है माघ माह। यह माह पवित्र नदियों में स्नान, दान, तप, मंत्र जप आदि के लिए श्रेष्ठ होता है। विष्णु पुराण में भगवान विष्णु ने माघ माह को मासोत्तम मास की संज्ञा दी है। अर्थात् सभी मास में माघ मास सवोत्तम होता है। इसलिए काम्य संकल्प के साथ यदि इस पूरे माह स्नान-व्रतादि किए जाएं तो सर्वत्र लाभ प्राप्त होता है। अब पूरा माघ माह बीतने को है, अनेक लोगों ने पूरे माह माघ स्नान किया भी होगा, लेकिन जो पूरे माह इससे वंचित रह गए, वे माघ पूर्णिमा के दिन स्नान करके पूरे माह का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। माघी पूर्णिमा 27 फरवरी 2021 शनिवार को आ रही है। इस दिन मघा नक्षत्र रहेगा। सिंह राशि का चंद्र और कुंभ राशि का सूर्य रहेगा।

Magh Purnima 2021: पवित्र नदियों में करें स्नान, पाएं सहस्रकोटि पुण्य फल

क्यों किया जाता है पवित्र नदियों में स्नान

माघ पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करने के संदर्भ में पद्म पुराण में एक कथा मिलती है। एक समय भूलवश भगवान विष्णु के पैर के नीचे एक बिच्छू आ गया था। जैसे ही श्रीहरि का पैर उस बिच्छू पर पड़ा उसने अपने बचाव के लिए श्रीहरि के पैर में डंक मार दिया किंतु उस बिच्छू की भी मृत्यु हो गई। अपने पैर के नीचे आए जीव की मृत्यु का दुख और उसके काटे जाने से अहसहनीय पीड़ा के कारण भगवान विष्णु का मन विचलित हो गया। वे परेशान हो गए किअब क्या किया जाए। बिच्छू के डंक का जहर तो औषधियों से दूर हो गया, लेकिन उसकी मृत्यु का दुख श्रीहरि को सता रहा था। वे स्वयं को जीव हत्या का दोषी मान रहे थे। तभी नारद वहां आए और उन्होंने सारी बात जानकर श्रीहरि को कहा किप्रभु आप पृथ्वी पर जाकर पवित्र गंगा में माघ पूर्णिमा के दिन स्नान करें, इससे आपके मन की सारी पीड़ा दूर हो जाएगी और आपको जीव हत्या का पाप भी नहीं लगेगा। नारद की बात मानकर श्रीहरि भेष बदलकर माघ पूर्णिमा पर संगम तट पर स्नान करने पहुंच गए। उन्होंने वहां स्नान किया और तट पर तपस्यारत ऋषि मुनियों को दान-दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया और दोष मुक्त हुए। कालांतर में नारदजी के मुख से यह कथा प्रचारित हुई और माघ पूर्णिमा पर गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान की परंपरा प्रारंभ हुई।

गंगा स्नान का बड़ा महत्व

मान्यता है किआज भी प्रत्येक माघी पूर्णिमा पर श्रीहरि विष्णु स्वयं किसी न किसी रूप में गंगा स्नान करने अवश्य आते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का बड़ा महत्व होता है। इस दिन हरिद्वार, प्रयागराज आदि जगहों पर मेले आयोजित होते हैं। इनके अलावा नर्मदा, यमुना, शिप्रा, गोदारी समेत अन्य पवित्र नदियों के तट पर भी लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान करने पहुंचते हैं। इसके साथ ही दान-पुण्य भी किया जाता है।

आसपास नदी न हो तो क्या करें?

माघ पूर्णिमा पर प्रत्येक आस्तिक परंपरानुसार पवित्र नदियों में स्नान करना चाहता है, लेकिन हर किसी के आसपास पवित्र नदियां नहीं होती और हर कोई गंगा आदि नदियों के तट पर नहीं पहुंच पाता। तो ऐसे में क्या किया जाए। इस स्थिति में अपने घर में ही नहाने के जल में पवित्र सप्त नदियों के जल का आवाहन करके और उसमें गंगा, नर्मदा जल डालकर स्नान किया जा सकता है।

आवाहन मंत्र :

  • गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती ।
  • नर्मदा सिंधु कावेरी जलेस्मिन संनिधिं कुरु ।।

स्नान के बाद यथाशक्ति गरीबों, निशक्तों, जरूरतमंदों को अन्न दान, वस्त्र दान, फल दान करें।

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English summary
The Full Moon or Poornima date in the month of Magh according to the Hindu Panchang is called as Magh Purnima. Here is Importance of maghi snan.
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