Karva Chauth 2017: आखिर क्यों देखती हैं महिलाएं छन्नी से चन्द्रमा?
नई दिल्ली। अखंड सौभाग्य का व्रत करवाचौथ 8 अक्टूबर को है, सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए पूरे दिन भूखी-प्यासी रहकर अपने पति के लिए व्रत रखती हैं और शाम को चांद का दर्शन करने के बाद ही अपना व्रत तोड़ती हैं। व्रती महिलाएं चांद को निहारने के लिए छन्नी का प्रयोग करती हैं या फिर कहीं-कहीं पानी में चांद की परछाई देखती हैं।
महिलाएं छन्नी से या परछाईं में ही चांद को क्यों देखती हैं?
क्या कभी आपने सोचा कि आज के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं छन्नी से या परछाईं में ही चांद को क्यों देखती हैं? नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं इससे पीछे की कहानी।
कोई भी शुभ काम नहीं किए जाते हैं
मान्यता के अनुसार को चतुर्थी कोई भी शुभ काम नहीं किए जाते हैं, खास करके चांद से जुड़े काम क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इस दिन चांद को देखने से इंसान पर अपयश या कलंक लगता है। इसलिए चंद्रमा को सीधे नहीं देखना चाहिए। लेकिन करवाचौथ की पूजा बिना चांद के पूरी नहीं होती है।
पहले भगवान गणेश की पूजा की जाए
इसलिए विधान बनाया गया कि करवाचौथ के दिन पहले भगवान गणेश की पूजा की जाए और उसके बाद चंद्रमा को अर्ध्य दिया जाए जिसके लिए महिलाएं छन्नी या आंचल का प्रयोग करें। इसलिए व्रती महिलाएं छन्नी से चांद को निहारती है और उसके बाद अपने पति का मुंह देखती हैं और उनके हाथों पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं।
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