Kale Hanuman Ji: क्यों होती है काले बजरंग बली की पूजा? क्या है इसके पीछे की कहानी?
Kale Hanuman Ji ki kahanI: बजरंग बली सूर्यदेव को अपना गुरु मानते थे, उनके काले रंग की कहानी उन्हीं से जुड़ी हुई है।
Kale Hanuman 2023: ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले प्रत्येक मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है। इस दिन बजरंग बली की खास पूजा करने से इंसान की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। वैसे तो हनुमान जी का रंग सिंदूरी है। लेकिन देश में कहीं-कहीं काले हनुमान जी की पूजा होती है, अब लोग सोचते हैं कि हनुमान जी का रंग अचानक काला क्यों हो गया? तो इस बारे में अलग-अलग कहानियां प्रचलित हैं। एक कहानी के मुताबिक हनुमान जी का ये रंग शनिदेव की वजह से है।
बजरंग बली सूर्यदेव को अपना गुरु मानते थे
दरअसल एक कहानी के मुताबिक बजरंग बली सूर्यदेव को अपना गुरु मानते थे। एक दिन उन्हें अपने गुरु को दक्षिणा देने का मन हुआ तो उन्होंने सूर्यदेव से कहा कि 'आप मेरे गुरु हैं, बताइए आपको गुरु दक्षिणा में क्या चाहिए? तो इस पर सूर्यदेव ने कहा कि वैसे तो मेरे लिए यही काफी है कि तुम मुझे अपना गुरु मानते हो लेकिन अगर तुम्हारी सही में इच्छा है कुछ करने की तो मेरे पुत्र शनि को मेरे पास ले आओ, वो मेरी बात नहीं सुनता है।'
शनिदेव उनके इस काम से बहुत खुश
इस पर हनुमान जी तुरंत शनिदेव के पास पहुंचे लेकिन शनिदेव वहां से भाग खड़े हुए। उन्होंने हनुमान जी को बहुत दौड़ाया और परेशान किया लेकिन बजरंग बली तो बजरंग बली ही थे। उन्होंनें उन्हें पकड़ ही लिया। शनिदेव उनके इस काम से बहुत खुश और उनकी गुरुभक्ति से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने तुरंत कहा कि मैं आपके साथ अपने पिता के पास चलने के लिए तैयार हूं लेकिन मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूं।
Kale Hanuman Ji: क्यों होती है काले बजरंग बली की पूजा?
गुरुभक्ति की एक नई मिसाल पेश की
इस पर हनुमान जी ने कहा कि हां बोलिए ना। तब शनिदेव ने कहा कि 'आपने आज गुरुभक्ति की एक नई मिसाल पेश की है। आज से आप अपनी इस भक्ति के लिए भी संसार में पूजे जाएंगे।' शनिवार के दिन आपकी भी पूजा मेरे साथ होगी और जो ये पूजा करेगा, उसकी हर इच्छा पूरी होगी और उस पर कभी कोई संकट नहीं आएगा। इस पर हनुमान जी बहुत खुश हुए और उन्होंने कहा कि ठीक है शनिवार के लिए मैं आपकी तरह ही काला रूप धर लेता हूं। बस उसी दिन से हनुमान जी के काले रूप की भी पूजा होने लग गई।
काले रंग के ही हनुमान के मंदिर बहुतायत
वैसे इस बारे में दूसरी कहानी ये भी है कि लंकापति रावण की सोने की लंका जलाने के बाद हनुमान जी का शरीर जलकर काला हो गया था। उनका ये काला रंग सच्चाई और चतुराई की विजय और झूठ और पाखंड की हार का पर्याय है इसलिए हनुमान जी के काले रंग की पूजा संसार में होती है। कर्नाटक और आंध्रा में काले रंग के ही हनुमान के मंदिर बहुतायत में नजर आते हैं। जो भी हो लाल हो काला, बजरंग बली के दर से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता। वो अपने हर भक्त की रक्षा करते हैं और उन पर प्यार लुटाते हैं। उनके आशीष से हर मुश्किल आसान हो जाती है और इंसान के अंदर का भय समाप्त हो जाता है।
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