Indira Ekadashi 2021: जानिए इंदिरा एकादशी की पूजाविधि और कथा
नई दिल्ली, 23 सितंबर। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। पितृपक्ष में आने के कारण इस एकादशी का महत्व अधिक होता है। यदि कोई पूर्वज जाने.अनजाने में हुए अपने पाप कर्मो के कारण कर्मो का दंड भोग रहे हैं तो उनके वंशज इस एकादशी पर विधिपूर्वक व्रत कर इसका पुण्यफल पितरों को दे दें तो पितरों को मोक्ष मिल जाता है और मृत्यु के बाद व्रती भी बैकुंठ में निवास करता है। इस वर्ष इंदिरा एकादशी 2 अक्टूबर 2021 शनिवार को आ रही है। इंदिरा एकादशी के दिन कलाकंद या मावे की मिठाई का भोग लगाया जाता है। इस दिन पितरो को भी इन्हीं पदार्थों का भोग.धूप लगाना चाहिए। इससे वे प्रसन्न और तृप्त होते हैं।
जानिए इंदिरा एकादशी की व्रत कथा
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सतयुग में महिष्मति नाम की नगरी में राजा इंद्रसेन राज करते थे। वे बड़े धर्मात्मा थे और उनकी प्रजा सुख चैन से रहती थी। एक दिन नारद जी इंद्रसेन के दरबार में जाते हैं। नारद जी कहते हैं मैं तुम्हारे पिता का संदेश लेकर आया हूं जो इस समय पूर्व जन्म में एकादशी का व्रत भंग होने के कारण यमराज के निकट दंड भोग रहे हैं। नारदजी के मुख से इंद्रसेन अपने पिता की पीड़ा को सुनकर व्यथित हो गए और पिता के मोक्ष का उपाय पूछने लगे। तब देव ने कहा कि राजन तुम कृष्ण पक्ष की एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करो और इस व्रत के पुण्य को अपने पिता के नाम दान कर दो। इससे तुम्हारे पिता को मुक्ति मिल जाएगी। राजा इंद्रसेन ने नारदजी द्वारा बताई विधि के अनुसार एकादशी व्रत किया। जिससे उनके पिता की आत्मा को शांति मिली।
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कैसे करें व्रत.पूजा
इंदिरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सूर्य देवता को अर्घ्य दें। भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प करें। पितरों को याद करते हुए भगवान विष्णु की तस्वीर पर गंगाजल, पुष्प, रोली और अक्षत चढ़ाकर भोग लगाएं। यह ध्यान रखें कि भगवान के भोग में तुलसी की पत्ती जरूर रखें। पूजा करने के बाद पितरों का श्राद्ध करें। ब्राह्मणों को भोजन करवाकर यथाशक्ति दान दें।