चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल से, हर दिन बन रहा है विशेष संयोग
नई दिल्ली। दुर्गा की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल से प्रारंभ हो रही है। इन नौ दिनों में इस बार कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जिनमें देवी की आराधना, साधना करना जहां विशेष फलदायी रहेगा, वहीं जो लोग जीवन की समस्याओं का समाधान चाहते हैं वे भी इन शुभ दिनों में देवी को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय कर सकते हैं। इस बार चैत्र नवरात्रि में पांच सर्वार्थ सिद्धि योग, दो रवि योग और साथ में रवि पुष्य का अत्यंत ही शुभ संयोग भी बन रहा है। नौ दिनों में बन रहे ये मंगलकारी संयोग देवी की साधना में सफलता प्रदान करेंगे। श्रीमद् देवी भागवत व देवी ग्रंथों के अनुसार इस तरह के संयोग कम ही बनते हैं। इसलिए यह नवरात्रि देवी साधकों के लिए खास रहेगी।
पूरे नौ दिन का होगा पर्व
नवरात्रि 6 अप्रैल से 14 अप्रैल तक है। कोई भी तिथि क्षय नहीं होने से नवरात्रि पूरे नौ दिन मनाई जाएगी। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि इस मायने में विशेष महत्व रखती है क्योंकि उदयकालीन तिथियां तो पूरी नौ रहेगी लेकिन मत-मतांतर के अनुसार अष्टमी के साथ ही रामनवमी का पर्व भी मनाया जाएगा।
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ये हैं हर दिन के शुभ संयोग
- 6 अप्रैल: नवरात्रि प्रारंभ, घट स्थापना, नव संवत्सर प्रारंभ, वैधृति योग और रेवती नक्षत्र में घट स्थापना
- 7 अप्रैल: सर्वार्थ सिद्धि का संयोग
- 8 अप्रैल: रवि योग, गौरी तीज, गणगौर, मत्स्य जयंती
- 9 अप्रैल: सर्वार्थ सिद्धि योग, विनायक चतुर्थी
- 10 अप्रैल: लक्ष्मी पंचमी, नागपंचमी, सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु वक्री
- 11 अप्रैल: रवि योग, यमुना षष्ठी, बुध मीन में
- 12 अप्रैल: सर्वार्थ सिद्धि योग
- 13 अप्रैल: दुर्गा अष्टमी, भवानी उत्पत्ति, कुलदेवी पूजन व स्मार्त मतानुसार नवमी पूजन
- 14 अप्रैल: वैष्णव मत के अनुसार राम नवमी, रवि पुष्य व सर्वार्थ सिद्धि योग
राम नवमी 13 अप्रैल को ही मनाना शास्त्र सम्मत
राम नवमी मनाने को लेकर मत भिन्नता सामने आ रही है। कुछ पंचांग 13 अप्रैल को और कुछ 14 अप्रैल को राम नवमी बता रहे हैं। चैत्र शुक्ल नवमी यानी राम नवमी 13 अप्रैल को ही मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा। अष्टमी तिथि 13 अप्रैल को प्रातः 11.41 बजे तक रहेगी उसके बाद नवमी लग जाएगी जो दूसरे दिन 14 अप्रैल को सुबह 9.35 बजे तक रहेगी। चूंकि भगवान राम का जन्मोत्सव दोपहर 12 बजे मनाया जाता है इसलिए मध्यान्ह व्यापिनी नवमी तिथि 13 अप्रैल को ही रहेगी। नवमी तिथि दोनों दिन व्याप्त ना हो तो अष्टमी के साथ मनाई जाती है। 14 अप्रैल को सूर्योदय के समय नवमी तिथि जरूर है लेकिन वह मध्यान्ह तक नहीं जा रही है इसलिए राम नवमी 13 अप्रैल को ही मनाई जाना उचित है।
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