Hindu Traditions: दही खाना है शुभ और क्यों बजाते हैं पूजा के दौरान घंटी?
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नई दिल्ली। हमारे देश में कहा जाता है कि यहां हर चार कदम पर पानी बदल जाता है, कला और संस्कृति वाले इस देश में बहुत सारी परंपराओं की प्रथा है। जिनमें से कुछ प्रथाएं तो ऐसी हैं जो ना जाने कब से चली आ रही हैं किसी को खबर नहीं लेकिन अगर आप उन पर गौर फरमाएं तो आप पायेंगे इन परंपराओं का सीधा संबंध इंसान के स्वास्थ्य से है, जो कि उसे स्वस्थ रखने के लिए काफी जरूरी है।
आइये आज हम आपको ऐसी ही कुछ हिंदुओं से जुड़ी प्रथाओं के बारे में बताते हैं जिसके पीछे वैज्ञानिक कारण हैं...
हर शुभ काम के लिए दही का प्रयोग
हर शुभ काम के लिए दही का प्रयोग किया जाता है। शादी या पूजा-पाठ के हर भोजन में दही का प्रयोग होता है क्योंकि अक्सर इस समय लोग व्रत रखते हैं। खाली पेट होने के काऱण इंसान को एसिडिटी की समस्या होती है इस कारण दही खिलाई जाती है जो चित्त और पेट दोनों को ठंडा रखती है।
घंटी
आपने अक्सर मंदिर या चर्च में घंटी देखी होगी लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? दरअसल इस परंपरा का प्रयोग इंसान के ध्यान को एक जगह फोकस करना है। घंटे की आवाज के कारण इंसान का क्रियाशील भटकने वाला दिमाग एक ही प्वाइंट पर सोचने लगता है इसलिए घंटियों का प्रयोग मंदिरों में होता है।
तांबे के सिक्के का पानी में फेंकना
अक्सर आपने सुना होगा कि सिक्के को पानी में फेंकने से इंसान की हर ख्वाहिश पूरी होती है। लोग आज भी नदी में खड़े होकर सिक्के को पानी में लेकर ऊपर वाले से विश मांगते हैं और उसके बाद सिक्के को पानी में फेंक देते हैं। यह प्रथा सदियों पुरानी है, पुराने समय में सिक्के तांबे के होते थे। पानी के जरिये अगर तांबा शरीर के अंदर पहुंचे तो इंसान को स्वास्थ्य लाभ होता है इस कारण ये प्रथा बनायी गई थी। खैर अब तांबे के सिक्के नहीं मिलते फिर भी इस प्रथा को लोग आज भी मानते हैं।
चूड़ी या कंगन
चूड़ी या कंगन ना जाने कब से हमारे देश की महिलाएं पहनती चली आ रही हैं लेकिन शायद आप में बहुत कम लोग जानते होंगे कि चूड़ी या कंगन पहनने से हाथ में हमेशा धर्षण होता है जो कि रक्त संचार को दुरूस्त करता है।
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