कोरोना काल में बिजली के दाम बढ़ाकर जनता पर आर्थिक मार, दिल्ली सीएम से कुछ सीखे सरकार: आप उत्तराखंड
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग द्वारा 2021-22 के लिए नई बिजली दरों की घोषणा होते ही इसका विरोध शुरू हो गया है। बिजली के बढ़े दामों ने कोरोना महामारी के समय जनता पर आर्थिक बोझ डालने का काम किया है।
देहरादून, 29 अप्रैल। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग द्वारा 2021-22 के लिए नई बिजली दरों की घोषणा होते ही इसका विरोध शुरू हो गया है। बिजली के बढ़े दामों ने कोरोना महामारी के समय जनता पर आर्थिक बोझ डालने का काम किया है। उत्तराखंड आम आदमी पार्टी ने इसको लेकर सरकार को घेरा। उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के उपाध्यक्ष अमित जोशी ने एक बयान जारी कर कह कि जनता के प्रति संवेदनहीन हो चुकी सरकार ने कोरोना काल में बिजली के दाम बढ़ाकर जनता पर एक और मार की है। इससे सीधे तौर पर सरकार का जनता के प्रति नजरिया पता चलता है।
आप उपाध्यक्ष ने सरकार के इस फैसले का कढ़ा विरोध जताते हुए कहा कि एक तरफ लोग कोरोना से मर रहे हैं, सूबे के अस्पतालों में समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं, पूरा राज्य त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहा है और दूसरी ओर संवेदनहीन सरकार जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ाने में लगी हुई है। उन्होंने आगे कहा कि इस महामारी के समय में सरकार की जिम्मेदारी जनता का सहयोग करने की होनी चाहिए, लेकिन सरकार पूरी तरह से जनता के प्रति संवेदनहीन हो चुकी है। लोग लचर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के कारण दम तोड़ रहे हैं, लॉकडाउन लगा हुआ है, रोजगार नहीं है, ऐसे समय में बिजली की दरों को बढ़ाना इस सरकार की जनता की जवाबदेही पर सवालिया निशान खड़ा करती है।
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आम आदमी पार्टी के उपाध्यक्ष अमित जोशी ने आगे कहा कि राज्य सरकार पूरी तरह विवेकहीन हो चुकी है, कोरोना महामारी के चलते राज्य की जनता के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है, लोग बीते साल के नुकसान से अभी तक नहीं उबर पाए हैं। ऐसे में बिजली की बढ़ी दरें उनपर अतिरिक्त बोझ बनेंगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार को दिल्ली की केजरीवाल सरकार से सीख लेनी चाहिए। वहां कैसे संसाधन न होने के बावजूद बिजली खरीद कर जनता को फ्री बिजली मुहैया कराई जाती है। उत्तराखंड में बिजली बनने के बाद भी यहां लोगों को बिजली के भारी दाम चुकाने पड़ते हैं वहीं, दिल्ली में सरकार बिजली खरीद कर जनता को फ्री में उपलब्ध कराती है। इससे केजरीवाल सरकार का जनता के प्रति नजरिया पता चलता है। उत्तराखंड सरकार को दिल्ली सरकार से सीख लेनी चाहिए।