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MCD House Violence: दिल्ली एमसीडी में हंगामा हैं क्यों बरपा?

आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ नगर निगम की तरह दिल्ली नगर निगम को हल्के में नहीं लेना चाहती है। जनवरी 2022 में चंडीगढ़ नगर निगम में बहुमत के बावजूद आप को मेयर के चुनाव में भाजपा से अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा था।

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Delhi MCD Mayor Elections ruckus between AAP and BJP members in the house

MCD House Violence: दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की कार्यवाही के इतिहास में 6 जनवरी 2023 की तारीख काले दिन के तौर पर दर्ज हो चुकी है। एकीकृत एमसीडी की पहले दिन की बैठक में दो घंटे तक जबरदस्त हंगामा और हिंसा का प्रदर्शन हुआ।

एमसीडी सदन में अराजक हंगामे के बीच महज चार पुराने पार्षदों को शपथ दिलाने के साथ सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। पीठासीन अधिकारी बनाने और फिर पहले शपथ लेने को लेकर शुरु हुई बहस पहले हंगामे, नारेबारी में बदली फिर देखते देखते बदरंग मार कुटाई में बदल गईं। लोकतंत्र के मंदिर में आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निर्वाचित पार्षदों ने हिंसा का नंगा किया। घटना में निर्ममता से एक दूसरे को ब्लेड से घायल करने तक के आरोप लगाए जा रहे हैं।

सीसीटीवी फुटेज से पता चल रहा है कि हिंसा को रोकने में सुरक्षाकर्मी बेबस नज़र आए। पार्षदों ने मेज़ पर चढ़कर हूटिंग की। कार्यवाही के कागज़ फाड़ दिये। माइक तोड़कर हथियार बनाया। सदन में कुर्सी चलाकर एकदूजे पर हमला किया। बॉक्सिंग रिंग की तरह धक्कामुक्की करते हुए एक दूसरे को घायल करते नज़र आए। कार्यवाही स्थगित करने की घोषणा के बाद भी सिविक सेंटर के एमसीडी गलियारे में जमकर बाहुबल का प्रदर्शन किया गया।

बाद में अपने अपने घायल पार्षदों को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने केंद्र सरकार के मातहत आने वाले राममनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल, तो आप की नेता आतिशी ने दिल्ली सरकार के बजट पर निर्भर जयप्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल का रुख किया। लोकतंत्र के दो महानायकों के नाम बने दिल्ली के इन दो अस्पतालों से जारी अपने अपने मतलब की मेडिको लीगल सर्टिफिकेट को लेकर भाजपा और आप के पार्षद एफआईआर के लिए दिल्ली पुलिस की शरण में पहुंच गए।

दिल्ली प्रदेश भाजपा के नेता महेश वर्मा ने आम आदमी पार्टी को गुंडों की पार्टी बताते हुए सदन में हुई हिंसा को सोची समझी साजिश का नतीजा बताया है। उनके मुताबिक़ आम आदमी पार्टी को एमसीडी मेयर चुनाव में अपने पार्षदों के टूटने का अंदेशा था। क्रॉस वोटिंग करने की सोचने वाले पार्षदों को नतीजे का अंजाम भुगतने का संदेश देने के लिए आप के बाहुबली पार्षदों द्वारा ये हिंसक प्रर्दशन करवाया गया है।

दिसंबर में हुए दिल्ली नगर निगम चुनाव में आप के 134 पार्षद जीतकर आये हैं। भाजपा को सत्ता से हटा आप सदन में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है, जबकि 15 सालों से एमसीडी पर राज कर रही भाजपा के महज 104 पार्षद जीतकर आए हैं। इसके अलावा भाजपा के हक में एक निर्दलीय पार्षद का समर्थन है। 250 सदस्यीय एमसीडी के सदन में कांग्रेस के सिर्फ नौ पार्षद जीते हैं।

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नवगठित सदन में छह जनवरी को शपथ ग्रहण और सदन चलाने के लिए महापौर और उप महापौर का चुनाव होना था। अगर क्रॉस वोटिंग न हो तो बहुमत वाली आप का दिल्ली में महापौर और उप महापौर होना तय है। लेकिन महापौर के महत्वपूर्ण चुनाव में आप के खिलाफ भाजपा ने भी चुनावी मैदान में अपने उम्मीदवार उतार रखे हैं। यही दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के लिए चिंता का सबब है। वह एमसीडी पर कब्जे के साथ दिल्ली में डबल इंजन की सरकार चलाना चाहते हैं। इसके लिए वह किसी भी सूरत में मुश्किल से हासिल दिल्ली की जमीन खोना नहीं चाहते ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर मजबूत दावेदारी के साथ मैदान में उतर पाएं।

2014 एवं 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की जनता ने दिल खोलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मतदान किया तो उनके तुरंत बाद हुए 2015 एवं 2020 के विधानसभा चुनावों में केजरीवाल को भारी बहुमत से जीता दिया था। हालिया गुजरात चुनाव में सात प्रतिशत से ज्यादा वोट लाकर आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रीय पार्टी होने की पात्रता हासिल कर ली है। 2013 से दिल्ली, 2021 में पंजाब और अब एमसीडी में सत्तारूढ़ होने के बाद आप की अगली चाहत लोकसभा चुनाव के जरिए केंद्र में सत्तारूढ़ होने की है।

ऐसे में आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ नगर निगम की तरह दिल्ली नगर निगम को हल्के में नहीं लेना चाहती है। जनवरी 2022 में चंडीगढ़ नगर निगम में बहुमत के बावजूद आप को मेयर के चुनाव में भाजपा से करारी हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा अपना मेयर बनाने के बाद आप पार्षदों का दलबदल कराकर चंडीगढ़ नगर निगम में सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। शहरी निकाय में साल भर के लिए चुने जाने वाले महापौर यानी मेयर के चुनाव में दलगत भावना से उठकर गुप्त मतदान का प्रावधान होता है। लिहाजा चंडीगढ निगम चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर जीतकर आने के बावजूद आप अपना मेयर नहीं बनवा पाई थी। इसलिए दिल्ली में आम आदमी पार्टी बेहद सावधानी के साथ आगे बढ़ रही है।

लिहाजा, एमसीडी के महापौर और उपमहापौर पर दावेदारी को पुख्ता रखने के लिए आप संयोजक आरंभ से ही सतर्क नजर आ रहे हैं। निरंतर उप राज्यपाल वीके सक्सेना के फैसलों पर सवाल कर रहे हैं। उनसे विवादों के जरिए भिड़ रहे हैं। उप राज्यपाल ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए एमसीडी में वरिष्ठ सदस्यों के तौर पर भाजपा के दस नेताओं को नामित कर दिया। मुख्यमंत्री केजरीवाल का कहना है कि उप राज्यपाल को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करते हुए वरिष्ठ को नामित करने में जल्दीबाजी से बचना चाहिए था। मुख्यमंत्री से राय मशविरा करनी चाहिए थी। फिर उप राज्यपाल ने जिस तरह से नए एमसीडी सदन की कार्यवाही शुरू करने के लिए भाजपा की पार्षद सत्या शर्मा को कार्यवाहक पीठासीन अध्यक्ष नियुक्त किया, उस पर भी आप ने सवाल खड़े किए हैं।

सदन की कार्यवाही के श्रीगणेश के समय पार्षदों के बीच से सीनियर मोस्ट पार्षद को पीठासीन अध्यक्ष बनाने की परंपरा है। उस लिहाज से पंद्रह साल से पार्षद रहे मुकेश गोयल को पीठासीन अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए था। वह सदन में आप के टिकट पर पार्षद के तौर पर जीत आए हैं। लेकिन दिल्ली का असली बॉस कौन की निरंतर जारी लड़ाई में उपराज्यपाल ने संवैधानिक प्रावधानों का प्रयोग किया है। एमसीडी के नए सदस्यों को शपथ दिलाने तथा नए महापौर और उप महापौर का चुनाव संपन्न कराने के लिए उपराज्यपाल ने भाजपा की वरिष्ठ पार्षद को पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर रखा है।

बहरहाल हैरतअंगेज हंगामे से एमसीडी सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए रोक दी गई है। आगे की तारीख के लिए उपराज्यपाल के कार्यालय से नए नोटिफिकेशन का इंतजार रहेगा। इंतजार सदन के अंदर पार्षदों के मर्यादित आचरण का भी है। आप और भाजपा दोनों के 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी में अभी से ही लग जाने की वजह से यहां की लड़ाई के नतीजे को देखना दिलचस्प है। नौ पार्षदों वाली छोटी पार्टी कांग्रेस ने फिलहाल एमसीडी के हंगामे वाले दृश्य से खुद को बाहर रखने का फैसला कर रखा है।

यह भी पढ़ें: MCD Mayor Elections: कौन कहलाता है मेयर ? क्या है उनका वेतन, अधिकार और काम?

(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)

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English summary
Delhi MCD Mayor Elections ruckus between AAP and BJP members in the house
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