11 साल पहले रेल हादसे में मरा बताकर बहन को दिलाई सरकारी नौकरी, अब जिंदा मिल युवक
कोलकाता, जून 21: पश्चिम बंगाल में हेरफेर कर सरकारी नौकरी पाने का एक बेहद ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है। 11 साल पहले यानी 2010 में हुए एक रेल हादसे में मृत घोषित 38 वर्षीय व्यक्ति 11 साल बाद जिंदा मिला है। तब तक उसका परिवार मुआवजे के तौर पर सरकारी नौकरी पा चुका था। परिवार द्वारा ही व्यक्ति को मृत बताया गया था और इसी आधार पर मुआवजा, नौकरी ले ली थी। उक्त व्यक्ति की हादसे में कथित मौत के बाद उसकी बहन को नौकरी मिली थी।
शादीशुदा बहन को मुआवजे के तौर पर 2011 में रेलवे में नौकरी मिली
सीबीआई ने शनिवार शाम को उत्तर कोलकाता के जोरबागान से अमृतवन चौधरी नाम के एक व्यक्ति को हिरासत में लिया। जनेश्वरी रेल दुर्घटना में मृत व्यक्तियों की सूची में चौधरी का नाम भी शामिल था। 28 मई, 2010 को पश्चिम मिदनापुर में कथित तौर पर माओवादियों ने इस हादसे को अंजाम दिया था। डीएनए पहचान के बाद शव परिवार को सौंप दिया गया था। उसकी शादीशुदा बहन महुआ पाठक को मुआवजे के तौर पर 2011 में रेलवे में नौकरी मिल गई।
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गुप्त जांच में पता चला
व्यक्ति की बहन को ईस्टर्न रेलवे में सिग्नल डिपार्टमेंट में नौकरी मिल गई, लेकिन हाल ही में शिकायत मिली कि वह मृत व्यक्ति असल में जिंदा है। रेलवे ने जांच बैठाई और मामला सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, हमें पिछले साल 11 अगस्त को दक्षिण पूर्व रेलवे की प्रशासनिक शाखा के महाप्रबंधक (सतर्कता) के कार्यालय से शिकायत मिली थी, जिसके आधार पर एक गुप्त जांच शुरू की गई थी। प्रारंभिक निष्कर्ष से पता चला है कि अमृतव चौधरी आज भी जिंदा है।
डीएनए प्रोफाइलिंग में की गई हेरफेर
अधिकारी ने कहा, यह साफ है कि चौधरी परिवार ने कुछ सरकारी अधिकारियों की कथित मिलीभगत से डीएनए प्रोफाइलिंग रिपोर्ट से छेड़छाड़ की थी और यह साबित कर दिया था कि ट्रेन दुर्घटना के पीड़ितों में से एक का डीएनए उनके परिवार के सदस्यों के डीएनए से मेल खाता है। इस साजिश में बीमा एजेंट भी शामिल था।अमृताभ ने मृत दिखाकर भारतीय जीवन बीमा से भी रकम ले ली थी। अमृताभ के पिता मिहिर चौधरी और मां अर्चना चौधरी को सरकार की ओर से चार लाख रुपये का मुआवजा भी मिला था।
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आरोपी परिवार को लिया गया हिरासत में
धोखाधड़ी के संबंध में अमृताभ, मिहिर, अर्चना, महुआ पाठक और अज्ञात सरकारी और निजी अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। पिता ने स्वीकार किया कि अमृताभ उसका बेटा है। सीबीआई ने एफआईआर में अमृतव चौधरी, उनकी बहन महुआ पाठक और उनके माता-पिता मिहिर कुमार चौधरी और अर्चना चौधरी का नाम लिया गया है । एक अन्य अज्ञात सरकारी और निजी अधिकारियों को भी जांच के दायरे में रखा गया है।