वाराणसी- कोख में मारी गई बेटियों को मिला मोक्ष का अधिकार, 13 हजार बेटियों के लिए हुआ श्राद्ध
वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर सोमवार को आगमन सामाजिक संस्था द्वारा गर्भ में मारी गई 13 हजार अजन्मी बेटियों के लिए वैदिक रीति रिवाज के साथ श्राद्ध कर्म का आयोजन किया गया
वाराणसी, 19 सितंबर : वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर सोमवार को आगमन सामाजिक संस्था द्वारा गर्भ में मारी गई अजन्मी बेटियों के लिए वैदिक रीति रिवाज के साथ श्राद्ध कर्म का आयोजन किया गया। आचार्य पंडित दिनेश शंकर दुबे के आचार्यत्व में ब्रांच ब्राह्मणों की उपस्थिति में यह विशेष अनुष्ठान संपन्न हुआ। इस दौरान संस्था के संस्थापक सचिव और श्राद्धकर्ता डॉ. संतोष ओझा द्वारा 13 हजार बेटियों का पिंडदान किया गया। इस दौरान अन्य लोग भी मौजूद रहे और अजन्मी बेटियों के श्राद्ध कर्म में अपना सहयोग दिए।
9 वर्षों से किया जा रहा है अजन्मी बेटियों का श्राध्द
संस्था के संस्थापक सचिव डॉ संतोष ओझा ने बताया कि विगत 9 वर्षों से आगमन सामाजिक संस्था द्वारा अजन्मी बेटियों के श्राध्द हेतु कार्यक्रम का आयोजन हर साल पितृपक्ष के मातृ नवमी की तिथि को किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि बदलते दौर में जहां बेटियां समाज में फाइटर प्लेन उड़ाने से लेकर देश के राष्ट्रपति पद की कमान संभाल रही हैं, वहीं दूसरी ओर आज भी कुछ लोग पुत्र मोह की चाह में गर्भ में लिंग का परीक्षण कर बेटियों की हत्या कर रहे हैं। ये भी वहीं अभागी और अजन्मी बेटियां हैं, जिन्हें उनके माता-पिता द्वारा इस धरती पर जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता है।
जीने का अधिकार नहीं मिला लेकिन मोक्ष मिलना चाहिए
संस्था के लोगों ने बताया कि गर्भ में मारी गई बेटियों को जीने का अधिकार तो नहीं मिल सका लेकिन संस्था द्वारा प्रयास किया जाता है कि उनको मोक्ष प्राप्ति हो सके। आयोजन कि शुरुआत शांति पाठ से की गई। उसके बाद वैदिक ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चार के बीच श्राद्ध कर्म को पूरा कराया। इस दौरान काफी संख्या में वहां पर मौजूद लोगों ने मृतक बच्चियों को पुष्पांजलि अर्पित कर उनके मोक्ष की कामना की।
स्वार्थ में डूबे लोग गर्भ में करा देते हैं बच्चियों की हत्या
संस्था के पदाधिकारियों ने बताया कि आमतौर पर आमजन द्वारा गर्भपात को एक ऑपरेशन माना जाता है, लेकिन स्वार्थ में डूबे परिजन यह भूल जाते हैं कि भ्रूण में प्राण-वायु के संचार के बाद किया गया गर्भपात जीव हत्या है। गर्भपात के नाम पर समाज में आज भी जीव हत्या की जा रही हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार में ऐसे व अकाल मृत्यु में जीव भटकता है जो परिजनों के दुःख का कारण भी बनता है। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार किसी जीव की अकाल मृत्यु के बाद मृतक की आत्मा की शांति के लिए शास्त्रीय विधि से श्राध्द करवा कर जीव को शांति प्रदान की जा सकती है। श्राद्धकर्म में संस्था की ओर से वीपी सिंह, राहुल गुप्ता, मनोज सेठ, जादूगर किरण और जितेन्द्र सहित अन्य लोग भी शामिल रहे।
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