Uttarakhand: धर्मांतरण का मामला सामने आने के बाद रवाईं घाटी में उबाल, स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा
धर्मांतरण मामले के विरोध में पुरोला क्षेत्र में व्यापारियों ने सड़कों पर उतरकर धरना प्रर्शन किया। धर्मांतरण का मामला सामने आने के बाद से रवाईं घाटी में बारी बवाल मचा हुआ है।
उत्तराखंड में धर्मांतरण का सख्त कानून लागू होने के बाद उत्तरकाशी की रवाईं घाटी में इस मामले को लेकर पहला मुकदमा दर्ज हो गया है। धर्मांतरण का मामला सामने आने के बाद से रवाईं घाटी में बारी बवाल मचा हुआ है। स्थानीय लोगों में पुलिस प्रशासन के खिलाफ भारी आक्रोश है। पुलिस ने दोनों तरफ से मुकदमा लिख लिया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि गरीब लोगों को लालच देकर धर्मांतरण किया जा रहा है। जो कि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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व्यापारियों ने सड़कों पर उतरकर धरना प्रर्शन किया
धर्मांतरण मामले के विरोध में सोमवार को पुरोला क्षेत्र में बाजार बंद रखा गया। व्यापारियों ने सड़कों पर उतरकर धरना प्रर्शन किया। जिसमें हिंदू संगठन और भाजपा कार्यकर्ता शामिल हुए। कार्यकर्ताओं ने शहर में जुलूस भी निकाला। साथ ही आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग की। धर्मांतरण और उसका विरोध करने पर दर्ज किए गए मुकदमे के खिलाफ व्यापारियों में गुस्सा है। इस मामले में 100 से अधिक लोगों पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
आरोप, बड़ी संख्या में लोगों को एकत्र कर धर्मांतरण कराया जा रहा था
बीते 23 दिसंबर को देवढुंग क्षेत्र में एक संस्था के निर्माणाधीन भवन में आयोजित कार्यक्रम में स्थानीय लोगों ने जमकर हंगामा काटा था। स्थानीय लोगों का आरोप था कि यहां बड़ी संख्या में लोगों को एकत्र कर धर्मांतरण कराया जा रहा था। समारोह की भनक लगने पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग यहां पहुंचे और कार्यक्रम के बारे में पूछताछ की। समारोह को संपन्न कराने के लिए केरल से एक धर्म विशेष के कुछ प्रमुख लोग आए थे। कार्यक्रम स्थल पर धर्मांतरण का संदेह होने पर ग्रामीणों व आयोजकों में जमकर विवाद हुआ। ग्रामीणों ने पुलिस व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर धर्म परिवर्तन कानून के तहत कार्रवाई करने की मांग की। इस दौरान ग्रामीणों व समारोह आयोजकों में हाथापाई भी हुई। आरोप है कि मसूरी के एक चर्च का पादरी अपनी टीम लेकर धर्म परिवर्तन कराने उत्तरकाशी के पुरोला स्थित गांव गया था। पुलिस ने प्राथमिक जांच के बाद पादरी, उसकी पत्नी और चार अन्य को नामजद किया है। पुलिस मुख्यालय ने इस मामले की प्राथमिकता के आधार पर विवेचना करने के निर्देश दिए हैं। धार्मिक स्वतंत्रता कानून में संशोधन के बाद प्रदेश में धर्मांतरण के आरोप में यह पहला मामला दर्ज हुआ है। संशोधन के बाद इस कानून के तहत सजा को 10 साल किया गया है।