Lancedone History जानिए क्यों चर्चा में है लैंसडोन और इसका इतिहास, जमकर हो रही सियासत
ब्रिटिशकालीन जगहों के नाम बदलने में लैंसडोन को लेकर चर्चा
ब्रिटिशकालीन जगहों के नाम बदलने की चर्चा तेज होते ही सबसे पहले लैंसडोन को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है।लैंसडोन पौड़ी जिले में है, जो कि ऐतिहासिक होने के साथ ही पर्यटकों की पसंदीदा जगह है। हालांकि नाम बदलने की चर्चा शुरू होते ही भाजपा कांग्रेस आमने सामने आ चुकी है। भाजपा ने जहां इस कदम का स्वागत किया है। वहीं कांग्रेस ने इस सियासी रंग देना शुरू कर दिया है।
1887 में ब्रिटिश काल में बसाया गया
पौड़ी जिले में स्थित लैंसडोन एक सुंदर कस्बा है। जो कि कोटद्वार के पास पहाड़ी क्षेत्र में एक सुंदर जगह है। इसे सन् 1887 में ब्रिटिश काल में बसाया गया। इस स्थान का मूल नाम कालूडाण्डा था। जिसका गढ़वाली भाषा में अर्थ काले पहाड़ है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 1706 मीटर है।
लैंसडोन
ऐतिहासिक
जगह
होने
के
साथ
ही
पर्यटकों
की
भी
पहली
पंसद
लैंसडोन
ऐतिहासिक
जगह
होने
के
साथ
ही
पर्यटकों
की
भी
पहली
पंसद
रही
है।
यहां
सालभर
सैलानी
आते
रहते
हैं।
जो
कि
एक
खुबसूरत
जगह
है।
यहां
कई
पर्यटक
स्थल
है।
लैंसडोन
को
ब्रिटिश
द्वारा
वर्ष
1887
में
बसाया
गया।
उस
समय
के
वायसराय
ऑफ
इंडिया
लॉर्ड
लैंसडाउन
के
नाम
पर
ही
इसका
नाम
रखा
गया।
इसका
वास्तविक
नाम
कालूडांडा
है।
यह
पूरा
क्षेत्र
सेना
के
अधीन
है
और
गढ़वाल
राइफल्स
का
गढ़
भी
है।
यहां
गढ़वाल
राइफल्स
वॉर
मेमोरियल
और
रेजिमेंट
म्यूजियम
सबसे
प्रसिद्ध
है।
यहां
गढ़वाल
राइफल्स
से
जुड़ी
चीजें
देखने
लायक
है।
प्राकृतिक
सौंदर्य
से
भरपूर
इस
इलाके
में
देखने
लायक
काफी
कुछ
है।
टिप
इन
टॉप
पर्यटकों
के
लिए
सबसे
पसंदीदा
जगह
है।
यहां
से
बर्फीली
चोटी
और
मनोरम
दृश्य
देखा
जा
सकता
है।
पास
में
ही
100
साल
से
ज्यादा
पुराना
सेंट
मैरीज़
चर्च
भी
है।
यहां
की
भुल्ला
ताल
बहुत
प्रसिद्ध
है।
यह
एक
छोटी-सी
झील
है
जहां
नौकायन
की
सुविधाएं
उपलब्ध
हैं।
लैंसडोन
की
ऊंची
पहाड़ी
पर
संतोषी
माता
का
मंदिर
बना
हुआ
है।
लैंसडोन
से
कुछ
दूरी
पर
ताड़केश्वर
मंदिर
भी
है।
यह
भगवान
शिव
का
प्राचीन
मंदिर
है।
इसे
सिद्ध
पीठ
भी
माना
जाता
है।
कांग्रेस ने सवाल उठाए
लैंसडोन का नाम बदलने की तैयारी पर कांग्रेस ने सवाल उठाए। पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि जब सरकारों के पास जनता को बताने के लिए कुछ नहीं होता है, तब वो पुराने कभी ब्रिटिश कालीन,कभी मुगलकालीन नामों को बदलने का एक प्रपंच रचते हैं। बेहतर होता कि सरकार नाम बदलने की बजाय अंग्रेजों के समय के कानून बदलती। जिनसे लैंसडोन की जनता घुट रही है।
लैंसडौन का नाम गुलामी की पहचान: भाजपा
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि लैंसडौन का नाम गुलामी की पहचान है और इसे मिटना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि रक्षा मंत्रालय की ओर से मांगे गए प्रस्ताव पर जल्द अमल होगा और लैंसडौन का नाम बदल जाएगा। भट्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुलाम मानसिकता के प्रतीकों को हटाने का जो वचन लिया है, उसे उत्तराखंड सरकार पूरा करेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को दासता की सोच से बाहर निकलकर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रति जनभावनाओं का सम्मान करना चाहिए।