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उत्‍तराखंड में परिवर्तन यात्रा के पहले चरण के बाद हरीश रावत की चिट्ठी, सीएम फेस न बनने की नजर आई टीस

उत्‍तराखंड में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के सफल आयोजन को लेकर कांग्रेसी उत्‍सुक

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देहरादून, 7 सितंबर। उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन को उम्मीद लगाए बैठे पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक बार फिर खुद को सीएम का चेहरा घोषित न करने की टीस सोशल मीडिया के जरिए सामने रखी है। हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर एक लंबी चौड़ी चिट्ठी लिखकर इशारों-इशारों में पार्टी से खुद के लिए स्वतंत्र तरीके से पूरा चुनाव लड़ने की मांग कर डाली है। साफ है कि हरीश रावत पार्टी हाईकमान को ये विश्वास दिलाना चाहते हैं कि अगर कांग्रेस हरीश रावत पर दांव खेले तो वे उत्तराखंड में सत्ता दिलाकर रखेंगे।

Harish Rawats letter after the first phase of Parivartan Yatra in Uttarakhand, was seen as not becoming CM face

हरदा का सीएम फेस कैंपेन जारी
उत्तराखंड में 2022 विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस पूरी रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतर चुकी है। प्रदेश अध्यक्ष पर गणेश गोदियाल की ताजपोशी और उस​के बाद सभी समीकरणों को साधने के लिए 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर पार्टी किसी भी तरह के अंदरूनी कलह को चुनावी साल में नहीं होने देना चाहेगी। इसी के तहत कांग्रेस के उत्तराखंड में सबसे बड़ा चेहरा होने के बाद भी पूर्व सीएम हरीश रावत को चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपी लेकिन सीएम का फेस घोषित नहीं किया। जब से पार्टी ने हरीश रावत को नई जिम्मेदारी सौंपी हैं तब से हरीश रावत लगातार खुद को सीएम फेस ​घोषित करवाने में जुटे हैं। इसको लेकर हरीश रावत सोशल मीडिया का कई बार सहारा ले चुके हैं। अबकी बार हरीश रावत ने 4 दिन तक चले परिवर्तन यात्रा के पहले चरण का विश्लेषण के रुप में अपनी भावनाएं जनता के सामने रखी हैं। इसमें हरीश रावत ने जहां परिवर्तन यात्रा को सफल बताया वहीं खुद को चुनाव में स्वतंत्र तरीके से राजनीति का खेल खेलने की मंशा जाहिर की है।

हरीश रावत लिखते हैं कि

मैं ये कुछ सकारात्मक बिंदुओं के साथ, प्लस प्वाइंट्स के साथ पार्टी के लिए बड़ी ऐसैट्स हो सकता हूंँ। लेकिन मुझे लगता है कि मेरे कुछ दोस्त मुझे बंधनयुक्त रखना चाहते हैं। पिच जटिल है यदि मैं बहुत संभल करके खेलूंगा, बड़ी खुटूर-खुटूर तरीके से खेलूंगा तो हमारे प्रतिद्वंद्वियों के पास जो सकारात्मक चीजें हैं, उनके चलते पार्टी की स्पष्ट जीत कठिन हो जाएगी और यदि मैं अपने ढंग से खेलता हूंँ जो मेरा स्वाभाविक खेल है, तो मैं हालात को बदल सकता हूंँ और पूरी तरीके से अपने प्रतिद्वंद्वियों को डिफेंसिव बना सकता हूंँ। मगर हमारी जैसी बड़ी पार्टी में इतनी स्वतंत्रता किसी को दी जाएगी इस पर मेरे मन में स्वयं संदेह है, अभी मैं प्रथम चरण की यात्रा का और गहराई से विश्लेषण करूंगा, और दूसरे चरण के समाप्ति के बाद में मुझे कहां पर खड़ा रहना चाहिये इस पर मैं अवश्य कुछ सोचूंगा।

चेहरे पर दांव खेलने का अनुभव खट्टा
उत्तराखंड में अब तक 4 बार विधानसभाओं के चुनाव हो चुके हैं। बीजेपी और कांग्रेस ही हमेशा मुख्य दलों के रुप में चुनावी मैदान में रहती है। 2012 के ​चुनाव में बीजेपी ने पूर्व सीएम बीसी खंडूडी के नाम पर खंडूडी है जरुरी के नारे के साथ सीएम चेहरे पर दांव खेला। लेकिन बीजेपी क्या खूंडूडी ही अपना चुनाव हार गए। इसके अलावा कभी भी बीजेपी, कांग्रेस ने किसी चेहरे पर कभी दांव नहीं खेला है। अबकी बार आम आदमी पार्टी जो पहली बार उत्तराखंड में किस्मत आजमा रही है। आप ने कर्नल अजय कोठियाल के चेहरे पर दांव खेला है। हालांकि उत्तराखंड में कभी भी सीएम के चेहरे को लेकर चुनाव नहीं लड़ा है। इस मामले में बीजेपी का अनुभव भी अच्छा नहीं है। तो कांग्रेस 2022 में हरीश रावत पर दांव खेलेगी। इसके लिए हरीश रावत को पार्टी हाईकमान से अपनी बात मनवाना आसान नहीं लग रहा है। कांग्रेस के पास हरीश रावत के अलावा नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रीतम सिंह भी एक विकल्प हैं, जिन्होंने ऐसे समय में कांग्रेस को एकजुट रखा। जब कांग्रेस के सिर्फ विधानसभा में 70 में से 11 विधायक ही ​जीतकर आए थे। तब प्रीतम सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष की महत्वपूर्ण और अहम जिम्मेदारी संभाली। जिसे पार्टी दरकिनार नहीं कर सकती है। अब जब नेता प्रतिपक्ष रहीं डॉ इंदिरा ह्रदयेश ​दिवंगत हुई तो प्रीतम ने विधानसभा में बतौर नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है। प्रीतम की छवि हमेशा सबको एक साथ लेकर चलने की भी रही है। पार्टी भी प्रीतम के कद को स्वीकारती है। यही कारण है कि प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी गणेश गोदियाल को दिलाने में हरीश रावत खेमा हावी रहा, लेकिन कार्यकारी अध्यक्ष और अन्य जरुरी फैसलों में प्रीतम सिंह ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।

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English summary
Harish Rawat's letter after the first phase of Parivartan Yatra in Uttarakhand, was seen as not becoming CM face
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