Uttarakhand congress में खींचतान, प्रीतम सिंह के सचिवालय कूच पोस्टर से गायब प्रदेश के चेहरे, जानिए इसके मायने
congress प्रीतम सिंह के सचिवालय कूच को लेकर खींचतान शुरू
उत्तराखंड कांग्रेस के अंदर एक बार फिर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के सचिवालय कूच को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। प्रीतम सिंह के इस कूच को शक्ति प्रदर्शन से जोड़कर देखा जा रहा है। इस बीच प्रीतम सिंह के इस कार्यक्रम को लेकर एक पोस्टर सोशल मीडिया में जारी किया गया है, जिसमें प्रदेश स्तर के किसी भी चेहरे को शामिल न करने से संगठन के आपसी वर्चस्व को लेकर फिर सवाल खड़े हो रहे हैं।
प्रदेश
कांग्रेस
के
बड़े
चेहरे
नए
संगठन
से
दूरियां
बनाए
हुए
विधानसभा
चुनाव
में
मिली
हार
के
बाद
से
जिस
तरह
प्रदेश
कांग्रेस
के
बड़े
चेहरे
नए
संगठन
से
दूरियां
बनाए
हुए
हैं।
उससे
कांग्रेस
की
कलह
समय
समय
पर
खुलकर
सामने
आ
रही
है।
करन
माहरा
के
प्रदेश
अध्यक्ष
बनने
और
यशपाल
आर्य
के
नेता
प्रतिपक्ष
बनने
के
बाद
से
प्रीतम
सिंह
खेमा
सबसे
ज्यादा
अलग
थलग
नजर
आ
रहा
है।
इस
बीच
प्रीतम
सिंह
की
प्रदेश
प्रभारी
देवेंन्द्र
यादव
से
भी
दूरियां
बनती
गई।
जिसने
कांग्रेस
में
खाई
बनाने
का
काम
किया।
भारत
जोड़ो
यात्रा
से
लेकर
कांग्रेस
के
अधिकतर
कार्यक्रम
में
प्रीतम
खेमा
गायब
नजर
आया।
प्रीतम सिंह ने 21 नवंबर को सचिवालय कूच का ऐलान किया
अब कानून व्यवस्था और प्रदेश के बड़े मुद्दों को लेकर प्रीतम सिंह ने 21 नवंबर को सचिवालय कूच का ऐलान किया है। जिसको लेकर कांग्रेस के अंदर एक बार फिर खेमेबाजी खुलकर नजर आ रही है। प्रदेश कांग्रेस इस कार्यक्रम से दूरी बना सकती है। जिस वजह से प्रीतम सिंह के इस पोस्टर में प्रदेश के किसी भी चेहरे को शमिल नहीं किया गया है। विधानसभा सत्र से पहले प्रीतम सिंह का ये शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है। कांग्रेस के बड़े नेता अपने अपने तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जिसमें कांग्रेस की एकजुटता नजर नहीं आ रही है। यहां तक की भारत जोड़ो यात्रा से भी कांग्रेस के कई चेहरे गायब रहे। पूर्व सीएम हरीश रावत अपने हिसाब से कार्यक्रम तय कर रहे है। भारत जोड़ो यात्रा के हरिद्वार कार्यक्रम के बाद हरीश रावत ने हरिद्वार जिंदाबाद यात्रा निकालने का ऐलान किया है। इस बीच प्रीतम सिंह के सचिवालय कूच ने भी कांग्रेस की मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
प्रदेश संगठन का पहले ही किनारा करने के संकेत
प्रीतम सिंह के इस कार्यक्रम को लेकर प्रदेश संगठन पहले ही किनारा करने के संकेत दे चुका है। बताया जा रहा है कि प्रीतम सिंह ने इस कूच के लिए प्रदेश संगठन से संवाद तक स्थापित नहीें किया। ऐसे में साफ है कि प्रीतम सिंह इस कार्यक्रम के जरिए अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना चाहते हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या प्रीतम के इस तरह खुलकर पार्टी संगठन को चुनौती देना आने वाले समय में कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। साथ ही ये भी देखना दिलचस्प होगा कि प्रीतम के इस कूच मे कौन- कौन शामिल होता है।