7 जून से गैरसेंण में प्रस्तावित विधानसभा सत्र को लेकरअसमंजस, कांग्रेस हुई हमलावर
7 जून से गैरसेंण में होना है सरकार का बजट सत्र
देहरादून, 27 मई। 7 जून से गैरसेंण में प्रस्तावित विधानसभा का सत्र अब 10 जून के बाद कराया जा सकता है। इतना ही जगह सत्र का स्थान भी परिवर्तित किया जा सकता है। इसके पीछे की वजह चारधाम यात्रा और राज्यसभा का चुनाव माना जा रहा है। हालांकि अभी इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।इधर सत्र के पीछे खिसकने और देहरादून में होने की संभावना को देखते हुए कांग्रेस को भी भाजपा पर हमला करने का मौका मिल गया है।
धामी
सरकार
2
का
पहला
बजट
सत्र
होना
है
राज्य
सरकार
ने
ग्रीष्मकालीन
राजधानी
गैरसैंण
के
भराड़ीसैंण
स्थित
विधान
भवन
में
सात
जून
से
विधानसभा
सत्र
आहूत
करने
पर
सहमति
जताई
थी।
यह
सत्र
धामी
सरकार
2
का
पहला
बजट
सत्र
होना
है।
जिस
पर
सबकी
निगाहें
टिकी
हुई
है।
खास
बात
ये
है
कि
ये
सत्र
चंपावत
उपचुनाव
के
बाद
होगा।
लेकिन
सरकार
को
सत्र
आहूत
करने
के
संबंध
में
पुनर्विचार
करना
पड़
रहा
है।
प्रमुख
वजह
चारधाम
यात्रा
को
माना
जा
रहा
है।
जिस
तरह
से
लाखों
श्रद्धालु
चारधाम
यात्रा
को
पहुंच
रहे
हैं।
उससे
पुलिस
व्यवस्था
को
मैनेज
करना
मुश्किल
हो
रहा
है।
यहां
तक
की
पुलिसकर्मियों
की
संख्या
तक
कम
पड़
रही
है।
ऐसे
में
यात्रा
के
बीच
में
विधानसभा
सत्र
कराने
आसान
नहीं
होगा।
फिलहाल
जून
के
पहले
सप्ताह
में
यात्रियों
की
संख्या
में
कोई
कमी
नहीं
आने
वाली
है।
चारधाम
यात्रा
को
लेकर
हो
रही
बैठकों
में
उनकी
ओर
से
विधानसभा
सत्र
के
स्थान
परिवर्तन
पर
जोर
दिया
जा
रहा
है।इसके
अलावा
10
जून
को
राज्यसभा
सीट
के
लिए
चुनाव
भी
है।
इस
स्थिति
में
10
जून
को
भाजपा
के
सभी
विधायकों
को
देहरादून
में
रहना
होगा।
ऐसे
में
अगर
सत्र
गैरसेंण
में
होता
है
तो
फिर
विधायकों
को
देहरादून
लाना
और
फिर
गैरसेंण
पहुंचाना
मुश्किल
हो
सकता
है।
प्रीतम
सिंह
ने
भाजपा
को
घेरा
इधर
सत्र
को
लेकर
असमंजस
की
स्थिति
पर
कांग्रेस
को
भाजपा
सरकार
पर
हमला
करने
का
मौका
मिल
गया
है।
पूर्व
नेता
प्रतिपक्ष
प्रीतम
सिंह
ने
कहा
है
कि
सरकार
को
सोच-विचार
कर
यह
तय
करना
चाहिए
कि
सत्र
का
आयोजन
करना
कहां
है।
कांग्रेस
तो
सत्र
के
लिए
कहीं
भी
जाने
को
तैयार
है
गैरसैंण
में
सत्र
कराने
की
बात
कहकर
अब
सरकार
खुद
उलझन
में
फंसी
दिखाई
दे
रही
है।
प्रीतम
ने
कहा
कि
गैरसैंण
को
लेकर
भाजपा
और
भाजपा
की
सरकार
कभी
गंभीर
नहीं
रहे।
गैरसैंण
को
ग्रीष्मकालीन
राजधानी
बनाने
की
घोषणा
तो
कर
दी
गई,
लेकिन
सरकार
एक
दिन
भी
गैरसैंण
से
नहीं
चली।
होना
तो
यह
चाहिए
था
कि
सरकार
के
मंत्री,
अधिकारी
भी
ग्रीष्मकाल
में
गैरसैंण
में
ही
रहते
और
वहां
से
सरकार
का
संचालन
करते।
लेकिन
भारतीय
जुमला
पार्टी
के
नेताओं
को
केवल
राजनीति
करना
और
आम
आदमी
के
भावनाओं
के
साथ
खिलवाड़
करना
ही
आता
है।
प्रीतम
ने
कहा
कि
कांग्रेस
जनभावनाओं
के
अनुसार
गैरसैंण
के
प्रति
शुरू
से
ईमानदार
रही
है।
गैरसैण
का
एक
सुनियोजित
तरीके
से
विकास
का
सिलसिला
कांग्रेस
सरकार
ने
ही
शुरू
किया।
जब
से
भाजपा
की
सरकार
प्रदेश
में
आई,
तब
से
इन
सभी
विकास
कार्यों
को
ही
भुला
दिया
गया।
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