'मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड संविधान के खिलाफ, तीन तलाक महिलाओं के साथ अत्याचार'
योगी आदित्यनाथ के मंत्री ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड असंवैधानिक है इसपर पाबंदी लगनी चाहिए, तीन तलाक महिलाओं के खिलाफ अत्याचार
लखनऊ। तीन तलाक को लेकर जिस तरह से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपना मोर्चा खोला है उसके बाद इस मुद्दे पर बहस और तेज हो गई है। एक तरफ जहां मुस्लिम लॉ बोर्ड ने तीन तलाक को सही ठहराते हुए कहा कि वह शरीअत में सरकार का दखल किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेंगे तो दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ के मंत्री मोहसिन रजा ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अस्तित्व पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
मुस्लिम नहीं मौलवी पर्सनल लॉ बोर्ड है
अल्पसंख्यक मंत्री मोहसिन रजा ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि तीन तलाक शरीअत का हिस्सा नहीं है, यही नहीं उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुस्लिम लॉ बोर्ड नहीं बल्कि इसे मौलवी पर्सनल लॉ बोर्ड है। मोहसिन रजा ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा को पुख्ता किया जाना चाहिए उन्हें उनका अधिकार मिलना चाहिए। रजा ने कहा कि तीन तलाक के लिए कानून आना चाहिए जिससे की महिलाओं को उनका अधिकार मिल सके।
संविधान के खिलाफ है मुस्लिम लॉ बोर्ड
मोहसिन रजा यहीं नहीं रुके उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर हमला बोलते हुए कहा कि ऐसे लॉ बोर्ड पर पाबंदी लगानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह के संगठन लोगों के लिए काम नहीं करते और ऐसे संगठनों पर पाबंदी लगानी चाहिए, इस तरह के संगठन भारत के संविधान के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि मैं तीन तलाक को महिलाओं के खिलाफ अत्याचार मानता हूं, इस्लाम इस तरह की चीजों की इजाजत नहीं देता है।
मुस्लिम लॉ बोर्ड ने की थी तीन तलाक की वकालत
गौरतलब है कि लखनऊ में दो दिनों तक मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक चली इस दौरान शरीअत का हवाला देते हुए तीन तलाक का समर्थन किया गया। बैठक में साफ किया गया है कि शरई कानूनों में किसी भी तरह की दखलंदाजी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, वहीं यह भी साफ किया गया है कि देश के अधिकतर मुसलमान शरई कानूनों में में किसी भी तरह के बदलाव के पक्ष में नहीं हैं और वह किसी भी तरह का बदलाव नहीं चाहते हैं। बोर्ड ने यह भी साफ कहा है कि मुस्लिम दहेज की जगह संपत्ति में हिस्सा देने की शुरुआत करें। हालांकि बोर्ड ने यह भी साफ किया है कि जो लोग तीन तलाक का गलत इस्तेमाल करेंगे उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।
सरकार का हस्तक्षेप बर्खास्त नहीं करेंगे
लॉ बोर्ड ने अपनी बैठक में कहा था कि जो लोग शरीअत के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं वह भी इसपर उंगली उठा रहे हैं, ऐसे में लोगों के सामने शरीअत को सही रुप में रखने की जरूरत है। मौलाना रहमानी ने कहा कि हमने देश में हस्ताक्षर अभियान शुरु किया, जिसके जरिए मुसलमानों ने यह साफ कर दिया है कि वह शरीअत में किसी भी तरह का बदलाव नहीं चाहते हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि हिंदुस्तान का संविदान देश के तमाम नागरिकों को अपने धार्मिक मामलों को मानने का अधिकार दिया है, संविधान हमें धार्मिक आजादी देता है, ऐसे में शरीअत में सरकार का हस्तक्षेप बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।