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ओवैसी और मायावती की वजह से दिलचस्प होगी पश्चिमी यूपी की सियासी लड़ाई ?

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लखनऊ, 17 जनवरी: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी गोटियां सेट करने में जुटे हुए हैं। इस बार चुनाव का पहला चरण 10 फरवरी को होगा जिसमे पश्चिम के 11 जिले शामिल हैं। एक तरफ जहां सपा और आरएलडी का गठबंधन पूरा जोर लगा रहा है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इन सबके बीच मायावती और ओवैसी की एंट्री ने चुनाव को और दिलचस्प बना दिया है। कई सीटों पर ऐसी स्थितियां ऐसी बन रही हैं जिससे बीजेपी की ही राह असान हो रही है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो एक एक सीट पर तीन-तीन मुस्लिम उम्मीदवारों के होने से वोटों का विभाजन तय है जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है।

मायावती

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी सीटों पर इस कदर मुस्लिम समीकरण हावी है कि बीएसपी और सपा रालोद ने जमकर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। कई सीटें ऐसी हैं जहां सपा और बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार उतार दिए हैं जबकि रही सही कसर ओवैसी की पार्टी ने पूरी कर दी है। उनकी पार्टी ने 9 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार घोषित किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह कि परिस्थितियों में वोटो का विभाजन तो तय है।

वहीं दूसरी ओर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी 53 सीटों पर प्रत्याशियों के एलान किया है। इसमें 14 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया है। बीएसपी ने बुढ़ाना, चरथावल, खतौली, सिवालखास, मेरठ साउथ, छपरौली, लोनी,। मुरादनगर, धौलाना, हापुड़, गढ़मुक्तेश्वर, शिकारपुर और अलीगढ़ में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। बीएसपी दलित मुस्लिम समीकरण बनाकर अपनी रहें आसान करने की रणनीति पर काम कर रही है। इन सभी सीटों पर सपा और आरएलडी का गठबंधन भी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रहा है। दरअसल , पश्चिमी उप्र में गठबंधन की उम्मीद भी मुसलमानों पर ही टिकी हुई है। मुस्लिम जाट स्मीकार के सहारे गठबंधन भी खुद को मजबूत करने की तैयारी में जुटा हुआ है। मायावती हों चाहे अखिलेश जयंत हों , सबकी निगाहें मुसलमानों पर ही टिकी हैं। उसमे भी ओवैसी की एंट्री ने इनकी मुसीबत को बढ़ाने जा काम किया है। हालाकि गठबंधन के लिए चांटा की बात ये है कि इन सीटों पर यादव समुदाय की संख्या काफी कम ही है।

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कई जगह गठबंधन और बीएसपी दोनों के मुस्लिम उम्मीदवार

पश्चिम की कई सीटों पर त्रिकोणात्मक संघर्ष की तस्वीर बन रही है। मेरठ साउथ सित पर बीएसपी ने कुंवर दिलशाद को मैदान में उतारा है तो आप ने भी अपने पुराने प्रत्याशी को हरी झंडी दे दी है। जैसे में मुस्लिम उम्मीदवार आमने सामने आ सकते हैं। इसी टफ अलीगढ़ से सपा और बीएसपी दोनो ने मुस्लिम उम्मीदवार पर ही दाव लगाया है। वहीं बीजेपी ने अब तक अलीगढ सीट पर अभी अपना उम्मीदवार का एलान नही किया है।

ओवैसी

ओवैसी ने उलझाया सबका गणित

विधानसभा चुनाव में ओवैसी बिहार की तरह ही जोर लगा रहे हैं। ओवैसी की पार्टी को चुनाव में कितनी सफलता मिलेगी यह तो समय ही बताएगा लकी। उम्मीदवारों का एलान कर उन्होंने विरोधियों की नीद तो उड़ा ही दी है। बीएसपी ने लोनी से हाजी अकील चौधरी को मैदान में उतारा है जबकि ओवैसी ने यहां डॉक्टर महताब को टिकट दिया है। जबकि रालोद से गुर्जर प्रत्याशी मदन भैया मैदान में हैं। यही हाल धौलाना सीट के है । इस बार सपा से असलम चौधरी मैदान मैं हैं जो पिछली बार बीएसपी के टिकट पर 3 हजारतों से चुनाव हार गए थे। बीएसपी ने इस बार यहां से वासिद प्रधान को टिकट दिया है। वहीं ओवैसी ने भी इस सीट पर हाजी आरिफ पर दाव लगा दिया है। बाकी कई सीटों पर कुछ इसी तरह की तस्वीर सामने आ रही है।

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Comments
English summary
Will Owaisi and Mayawati make the political battle of western UP interesting?
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