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क्यों मुंह फेर रहे हैं अखिलेश यादव, अब सपा की इस सहयोगी के सब्र का बांध टूट रहा है ?

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लखनऊ, 2 फरवरी: यूपी में चुनाव की घोषणा के बाद समाजवादी पार्टी ने भाजपा से ताबड़तोड़ पिछड़ी जाति के नेताओं को शामिल कराया है। जाति आधारित छोटे-छोटे दलों से वह महीनों से गठबंधन बना रही थी। अब उन सबको सीटें देकर वह चुनाव मैदान में भी मौका दे रही है। लेकिन, जाति आधारित ही एक और पार्टी की निराशा बढ़ती जा रही है। लगता है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उसकी ओर फिलहाल देखना ही बंद कर रखा है। समाजवादी पार्टी के दूसरे सहयोगी दल जहां अपने प्रत्याशी भी उतार चुके हैं, वहीं जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) अभी भी गठबंधन के तहत सीटों के आवंटन के ही इंतजार में बैठी है। पार्टी में सवाल उठ रहा है कि आखिर कबतक ?

जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) कब तक करे इंतजार ?

जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) कब तक करे इंतजार ?

यूपी चुनाव में इस बार पिछड़ी जाति के नेताओं के गुलदस्ते में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) के संजय चौहान को भी शामिल किया है। लेकिन, इनकी पार्टी के सब्र का बांध अब टूटता जा रहा है। संजय चौहान की पार्टी का दावा है कि उसे यूपी में नोनिया, लोनिया और लोनिया चौहान जैसी ओबीसी जातियों का समर्थन हासिल है। इन जातियों का प्रभाव मुख्यतौर पर मध्य यूपी और पूर्वांचल के इलाके में है। अखिलेश यादव ने ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और कृष्णा पटेल की अपना दल (कमेरावादी ) को तो सीटें आवंटित कर दी हैं, जिनमें से कई पर तो उनपर उम्मीदवारों की भी घोषणा कर दी है। लेकिन, जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) पार्टी की इंतजार की घड़ी अब काफी लंबी हो चुकी।

दारा सिंह चौहान के आने के बाद बढ़ी बेचैनी ?

दारा सिंह चौहान के आने के बाद बढ़ी बेचैनी ?

दरअसल, जब संजय चौहान ने समाजवादी पार्टी के साथ सहयोग करना तय किया था, तब और अब में एक बड़ा बदलाव हो चुका है। अब इसी ओबीसी समाज के बड़े नेता दारा सिंह चौहान योगी आदित्यनाथ की सरकार से मंत्री पद छोड़कर सपा की साइकिल पर चढ़ चुके हैं। वे मऊ जिले की उसी घोसी सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जहां से पिछली बार इसी जाति के फागू चौहान चुनाव जीते थे, जो अब बिहार के राज्यपाल बने हुए हैं। संजय चौहान ने अपनी बेसब्री जाहिर करते हुए द हिंदू से कहा है, 'मैंने पिछले चार वर्षों से क्षेत्र में काम किया है, इसकी वजह से जो समाज पहले बीजेपी को वोट देता था, आज पूरी तरह से सपा के साथ है। इसलिए अगर वोटर एक पार्टी या नेता के साथ खड़ा होता है तो समाज का अपने नेता के प्रति उम्मीदें भी बढ़ जाती हैं। '

2004 में ही बनी है जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट)

2004 में ही बनी है जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट)

उनके मुताबिक उन्होंने समाजवादी पार्टी को 10 से 11 सीटों की लिस्ट दे रखी है। उनकी पार्टी संख्या को लेकर नहीं अड़ी हुई है, लेकिन वह सिर्फ स्पष्टता चाहती है। उनके मुताबिक, 'हमारी प्रतिबद्धता सपा सरकार बनाने और बीजेपी को हटाने की है। वे हमें जो भी दे रहे हैं, उन्हें साफ करना चाहिए, ताकि मैं अपने कार्यकर्ताओं को परिस्थिति बता सकूं और उनसे जमीन पर उतरकर प्रचार करने के लिए कह सकूं।' चौहान ने 2004 में ही पार्टी लॉन्च की थी। हालांकि, इसे बहुत ज्यादा कामयाबी तो नहीं मिली है। लेकिन, 2012 के विधानसभा चुनाव में पार्टी 35 सीटों पर लड़ी और उसे 2.33% (1.5 लाख से ज्यादा वोट) वोट मिले।

नोनिया समाज के वोट की यूपी चुनाव में भूमिका

नोनिया समाज के वोट की यूपी चुनाव में भूमिका

2019 के लोकसभा चुनाव में चौहान चंदौली से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन भाजपा के महेंद्र नाथ पांडे से हार गए। वैसे उन्हें यहां पर 4,94,689 वोट मिले थे। पांडे को यहां पर 5,08,113 वोट हासिल हुए थे। गौरतलब है कि इस चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन हुआ था और एक तरह से गठबंधन का भाजपा के साथ सीधा मुकाबला था। प्रदेश की ओबीसी आबादी में नोनिया और उससे जुड़ी जातियों की अनुमानित जनसंख्या 2.3% के करीब है। वैसे मोटे तौर पर यूपी में ओबीसी आबादी 40 से 50% मानी जाती है। लेकिन, नोनिया चौहान की अहमियत इसलिए है, क्योंकि बीजेपी ने इन्हीं गैर-यादव ओबीसी जातियों के दम पर उत्तर प्रदेश में अपना बड़ा जनाधार तैयार किया है। सत्ता में आने के बाद पार्टी ने दारा सिंह चौहान को कैबिनेट में जगह दी थी तो फागू चौहान बिहार के गवर्नर बनाए गए हैं।

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सपा की इस सहयोगी के सब्र का बांध टूट रहा है ?

सपा की इस सहयोगी के सब्र का बांध टूट रहा है ?

लेकिन, जिस तरह से दारा सिंह चौहान के सपा में शामिल होने के बाद अखिलेश ने संजय चौहान को सीटों की घोषणा का इंतजार कराया है, वह अब सब्र का बांध तोड़ने लगा है। हालांकि, उनका कहना है कि उन्होंने अभी तक सपा से गठबंधन तोड़ने पर विचार नहीं किया है, लेकिन अगर सपा प्रमुख जल्द फैसला नहीं लेंगे तो कार्यकर्ताओं में 'असंतोष' और बढ़ेगा। उनके मुताबिक 'और जहां मेरे कार्यकर्ता और समाज जाता है, मैं वहां जाने के लिए मजबूर हो जाऊंगा।'

English summary
The delay in the allocation of seats in UP has started increasing the uneasiness of SP ally and Janwadi Party (Socialist) leader Sanjay Chauhan,he said that where Nonia-Lonia-Chauhan community will go,i have to go there
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