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UP BJP में क्या होने वाला है ? 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले मिल रहे हैं बड़े संकेत

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लखनऊ, 1 जून: कोरोना महामारी की दूसरी लहर की उफान कम होने के बाद यूपी बीजेपी में भी सियासी सरगर्मी तेज हो चुकी है। पंचायत चुनावों में विपक्ष के बढ़े हुए दबदबे और उसपर से महामारी की मार ने पार्टी के रणनीतिकारों को 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए नए सिरे से सोचने को मजबूर कर दिया है। वैसे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि एक तेज-तर्रार प्रशासक की है और पहली लहर को संभालने के लिए उनकी तारीफ में पाकिस्तान में भी कसीदे पढ़े गए थे। लेकिन, दूसरी लहर के शुरुआती दिनों में उस छवि पर बट्टा लगाने वाली मीडिया रिपोर्ट्स ने पार्टी नेतृत्व के भी खान खड़े किए होंगे। हालांकि, आज की तारीख में स्थिति में सुधार जरूर हुआ है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी यूपी मॉडल की सराहना की है। लेकिन, जो राजनीतिक नुकसान हो चुका है, उसपर मरहम लगाने में अभी काफी मशक्कत की जरूरत है। शायद यही वजह है कि पार्टी संगठन से जुड़े बड़े नेता वहां पर जमीनी हकीकत की छानबीन करने में लग चुके हैं।

यूपी चुनाव से पहले भाजपा संगठन में मंथन

यूपी चुनाव से पहले भाजपा संगठन में मंथन

भाजपा अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कितनी संजीदा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि पार्टी के संगठन महामंत्री (राष्ट्रीय महासचिव) बीएल संतोष और उपाध्यक्ष राधा मोहन सिंह ने सोमवार को प्रदेश संगठन के नेताओं के साथ बैठक की है। इन दोनों नेताओं की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भी अलग से उनके आवास पर बंद कमरे में चर्चा हो चुकी है। वैसे प्रदेश भाजपा के लोग तो इसे संगठन की सामान्य कवायद बता रहे हैं, लेकिन विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इसे उतना सामान्य नहीं माना जा सकता। खासकर तब जब सूत्रों का कहना है कि नेताओं ने कोरोना की दूसरी लहर के बाद सत्ताधारी पार्टी को लेकर जनता के नजरिए और जमीनी राजनीतिक हालात पर फीडबैक जुटाने की कोशिश की है। ये बैठकें इसलिए भी अहम हैं, क्योंकि ये 30 मई को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की दूसरी वर्षगांठ पर महामारी को लेकर विपक्षी अभियान की धार कुंद करने के लिए शुरू की गई 'सेवा ही संगठन' मुहिम के बाद बुलाई गई है।

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UP Assembly Elections से पहले BJP ने Uttar Pradesh में चलाया Feedback Campaign | वनइंडिया हिंदी
जिला और क्षेत्र पंचायत के चेयरमैन के पदों पर नजर

जिला और क्षेत्र पंचायत के चेयरमैन के पदों पर नजर

सूत्रों का कहना है कि पार्टी के दोनों वरिष्ठ नेताओं ने कई और माध्यमों से भी राज्य की राजनीतिक हालात की समीक्षा की कोशिश की है। उनकी मुलाकात प्रदेश के मंत्रियों सुरेश खन्ना, ब्रिजेश पाठक, जय प्रताप सिंह और दारा सिंह चौहान से भी हुई है। गौरतलब है कि पार्टी की यह कवायद इसलिए भी मायने रखती है, क्योंकि मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी ने पंचायत चुनावों में उसके खिलाफ तगड़ी चुनौती पेश की है। अब भाजपा का फोकस जिला और क्षेत्र पंचायत के चेयरमैन के पदों पर है, जिनका चुनाव दूसरी लहर की वजह से टला हुआ है। जानकारी के मुताबिक इसके लिए पार्टी पहले से ही निर्दलीय उम्मीदवारों से संपर्क में है, ताकि ज्यादातर जिला और क्षेत्र पंचायतों के टॉप पदों पर अपने लोगों को बिठा सके।

यूपी भाजपा के अंदर भी नाराजदी के फूट चुके हैं सुर

यूपी भाजपा के अंदर भी नाराजदी के फूट चुके हैं सुर

लेकिन, इन सारी कोशिशों का मूल लक्ष्य अगले साल की शुरुआत में होने वाला विधानसभा चुनाव है। वैसे तो तब यूपी के अलावा, उत्तराखंड और पंजाब और साल के अंत में गुजरात विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। लेकिन, भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश की प्राथमिकता के बारे में बताने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, पार्टी की दिक्कत ये है कि कोरोना की वजह से वहां जो हालात पैदा हुए हैं, वह तो परेशानी का सबब बन ही चुकी हैं, पार्टी के अंदर भी सबकुछ ठीक नहीं है। हाल के दिनों में कोविड को लेकर कई विधायक खुलकर अपनी ही सरकार और प्रशासन पर उंगली उठा चुके हैं। वाकई अगर कोविड मैनेजमेंट को लेकर भाजपा के एमएलए में नाराजगी है तो आम जनता में सबकुछ ठीक होगा, ऐसा कैसे माना जा सकता है। इसलिए वह राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की ओर से शुरू किए गए 'सेवा ही संगठन' पर पूरा जोर लगा रही है, ताकि कोविड से प्रभावित हुई जनता की नाराजगी दूर कर सके। बता दें कि इससे पहले आरएससए के नेता दत्तात्रेय होशबोले भी यूपी का दौरा कर चुके हैं, जो कि सर संघचालक मोहन भागवत के बाद सेकंड-इन-कमांड हैं।

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यूपी बीजेपी में क्या होने वाला है ?

यूपी बीजेपी में क्या होने वाला है ?

पिछले कुछ दिनों में यूपी सरकार और यूपी भाजपा में फेरबदल को लेकर काफी चर्चाएं हुई हैं। ये सारी बाते बेवजह नहीं लग रही हैं। पार्टी के एक सूत्र ने वन इंडिया से कहा है कि विधानसभा चुनावों से पहले योगी आदित्यनाथ सरकार में फेरबदल की भी पूरी संभावना है। इसके अलावा कुछ विधायकों में नाराजगी को देखते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की जगह किसी और को भी कमान दी जा सकती है। वैसे तो पंचायत चुनाव के नतीजे सत्ताधारी पार्टी के लिए खुश होने वाले नहीं हैं। लेकिन, कहीं न कहीं पार्टी को यह संजीवनी जरूर मिली है कि 6 महीने से ज्यादा वक्त से चल रहे 'किसान आंदोलन' के बावजूद जाट बेल्ट के नतीजे उम्मीद से कहीं ज्यादा अच्छे रहे हैं। इसलिए पार्टी अब उन ग्रामीण इलाकों पर फोकस करना चाहती है, जहां उसे प्रदर्शन और बेहतर करने की गुंजाइश दिखाई दे रही है। यही नहीं चर्चा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए विधायकों की परफॉर्मेंस का भी आंकलन शुरू हो चुका है और संभव है कि 20 फीसदी विधायकों को चुनाव लड़ने के लिए 'कमल' निशान मिलना मुश्किल हो जाए।

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English summary
Churning in BJP continues ahead of UP assembly elections of 2022, possibility of reshuffle in government and organization
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