UP MLC चुनाव में राष्ट्रपति चुनाव का हिसाब बराबर करेंगे अखिलेश ?, क्यों खेला आदिवासी कार्ड
लखनऊ, 01 अगस्त : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने वाली समाजवादी पार्टी (SP) ने अब यूपी में एमएलसी की 2 सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में आदिवासी उम्मीदवार खड़ा करके बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है। BJP ने हाल ही में राष्ट्रपति पद पर आदिवासी समाज की द्रोपदी मुर्मू को खड़ा किया था जो अब राष्ट्रपति निर्वाचित हो चुकी है। अखिलेश यादव आदिवासी कार्ड के बहाने अब बीजेपी को उसी मुद्दे पर घेरना चाहते हैं जैसा बीजेपी पहले कर चुकी है। हालांकि समाजवादी पार्टी बीजेपी खेमे में सेंधमारी की संभावनाएं भी तलाश रही है। हालांकि इससे पहले यूपी में तीन महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव और उसके बाद हुए लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी ने सपा को करारी शिकस्त दी थी।
अखिलेश ने क्यों खेला आदिवासी कार्ड
समाजवादी पार्टी ने रविवार को सोनभद्र की रहने वाली आदिवासी महिला कीर्ति कोरी को अपना उम्मीदवार बनाया था। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो अखिलेश बीजेपी को उसी की रणनीति पर घेरना चाहते हैं। उनकी यह कवायद कितनी सफल होगी ये तो बाद में पता लगेगा लेकिन अखिलेश ने ये दाव खेलकर बीजेपी की मुश्किल बढ़ने का काम करेगी। अखिलेश यादव की पार्टी ने हाल ही में राष्ट्रपति बनी आदिवासी महिला द्रोपदी मुर्मू का विरोध किया था। हालांकि अखिलेश के इस कदम को लेकर उनके चाचा शिवपाल ने भी पत्र लिखकर द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का अनुरोध किया था लेकिन अखिलेश ने अपना फैसला नहीं पलटा था।
अखिलेश का यह दांव बीजेपी खेमे में सेंधमारी का प्रयास
समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव की हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में काफी फजीहत का सामना करना पड़ा था। दरअसल अखिलेश के सहयोगी शिवपाल यादव और ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश से बगावत करते हुए एनडीए की उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू को वोट किया था। अखिलेश को उस समय झटका लगा था जब बीजेपी सरकार के डिनर में अखिलेश और शिवपाल शामिल होने चले गए थे। बाद ने जब मतदान हुआ तो 5 समाजवादी पार्टी के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। अब अखिलेश भी आदिवासी कार्ड खेलकर बीजेपी में सेंधमारी का प्रयास करेंगे। हालांकि अब ओम प्रकाश राजभर और शिवपाल यादव की राहें अखिलेश से जुदा हो चुकी हैं।
बिना बहुमत के कैसे जीतेंगे अखिलेश ?
दरअसल बीजेपी को विधान परिषद में भी पूर्ण बहुमत मिल चुका है। बीजेपी के उम्मीदवारों ने सोमवार को विधान परिषद के लिए नामांकन किया। हालाकि आंकड़ों की बात करें तो विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के पास बहुमत नहीं है। सपा के पास केवल 111 विधायक हैं जबकि एक सीट के लिए 200 वोट जरूरी है। इस लिहाज से समाजवादी पार्टी एक भी सीट जीत पाएगी इसमें संदेह ही है। समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव के आदिवासी कार्ड पर अब बीजेपी ने तंज कसा है। उत्तर प्रदेश सरकार में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि अखिलेश का आदिवासी कार्ड इस समाज के साथ धोखा है। जब अखिलेश को ये पता है कि उनके पास एक भी सीट जीतने के लिए बहुमत नहीं है फिर उनको धोखे में रखकर चुनाव में उतार दिया है।
विधान परिषद में सपा से छिनी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी
विधान परिषद में सपा की नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी भी गई विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद सपा को सबसे बड़ा झटका विधान परिषद में बीजेपी ने दिया। दरअसल विधान परिषद की 100 सीटों में 72 सीटें बीजेपी के पास आ गई हैं। यूपी के इतिहास में यह पहला मौका था जब विधानसभा के साथ ही विधान परिषद में भी बीजेपी का पास पूर्ण बहुमत आ गया। लेकिन उधर सपा की सीटें दस फीसदी से कम हो गईं। सदन में सपा की संख्या घटकर 9 हो गई है। इसके साथ ही विधान परिषद में सपा की नेता प्रतिपिक्ष की कुर्सी भी छिन गई। हालांकि नेता प्रतिपक्ष इस मामले को लेकर हाइकोर्ट पहुंच गए हैं जहां अब इस सियासी कुर्सी की लड़ाई का फैसला होना है।
लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी ने दी थी सपा को मात
लोकसभा उपचुनाव में अखिलेश को बीजेपी ने दी करारी शिकस्त उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में शानदार जीत मिलने के बाद बीजेपी ने चुनाव के बाद भी झटके पर झटका दिया। विधानसभा चुनाव के बाद यूपी में रामपुर और आजमगढ़ जैसी अहम लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ। दरअसल यह चुनाव इसलिए हुआ क्योंकि अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल सीट से और सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान रामपुर की स्वार सीट से विधायक बन गए थे। दोनों सीटों पर हुए उपचुनाव अखिलेश के लिए लिटमस टेस्ट की तरह था लेकिन बीजेपी ने अखिलेश के गढ़ में सेंध लगा दी और दोनों ही सीटों पर परचम लहराने में सफलता हासिल कर ली।
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