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UP में शुरू होगी 'कोटा पॉलिटिक्स' ? 10 वर्ष में हुई भर्तियों में OBC प्रतिनिधित्व का आकलन करेगी सरकार

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लखनऊ, 19 अगस्त: उत्तर प्रदेश में कोटा आधारित राजनीति फिर से गरमाती दिख रही है। यह मुद्दा एक बार फिर इसलिए गरमा गया है क्योंकि यूपी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में सरकारी भर्तियों में ओबीसी प्रतिनिधित्व का आकलन करने का निर्णय लिया है। सरकार ने इसको लेकर 23 अगस्त को 83 विभागों की एक अहम बैठक बुलाई है। सरकार की कोशिश है कि एक बार ये आंकड़े सामने आने के बाद ही सामाजिक न्याय समिति की सिफारिशों को लागू करने पर अमल किया जा सकेगा। सरकार के इस फैसले के बाद अब SBSP के चीफ ओम प्रकाश राजभर ने इसका स्वागत किया है। हालांकि राजभर ने सितम्बर में इस मुद्दे को लेकर सावधान यात्रा निकालने का निर्णय लिया है।

राजभर 26 सितंबर से निकालेंगे सावधान यात्रा

राजभर 26 सितंबर से निकालेंगे सावधान यात्रा

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) ने 26 सितंबर से 'सावधान यात्रा' शुरू करने का फैसला किया है जो जाति जनगणना के मुद्दे को उठाएगी। राजभर ने कहा है कि सरकारी भर्तियों में ओबीसी उप-जातियों का यह आकलन महत्वपूर्ण है। एक बार यह हो जाने के बाद, हम उम्मीद करेंगे कि सरकार सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को जल्दी से लागू करेगी ताकि उपेक्षित और हाशिए के लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित किया जा सके।

दस साल की भर्तियों में OBC प्रतिनिधित्व का होगा आकलन

दस साल की भर्तियों में OBC प्रतिनिधित्व का होगा आकलन

राजभर ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब यूपी सरकार द्वारा पिछले 10 वर्षों में सरकारी भर्तियों में ओबीसी प्रतिनिधित्व का आकलन करने का निर्णय लिया गया है। दरअसल सभी विभागों को जनवरी 2010 से मार्च 2020 तक की गई ओबीसी भर्तियों में सभी उम्मीदवारों की उप-जाति का विवरण देने को कहा गया है। 23 अगस्त से 83 विभागों के अधिकारियों की दो दिवसीय बैठक बुलाई गई है। एसबीएसपी ने 2017 के यूपी चुनावों में भाजपा के साथ भागीदारी की थी और 2022 के यूपी चुनावों में समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ थी। उसने यूपी सरकार के फैसले का स्वागत किया है।

सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने का दबाव

सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने का दबाव

दरअसल दिसंबर 2021 में, राज्य सरकार को सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट मिली थी। इसमे ओबीसी को तीन श्रेणियों में विभाजित करने की सिफारिश की गई थी। पिछड़ा, अति पिछड़ा और सबसे पिछड़ा। रिपोर्ट की जानकारी रखने वाले बताते हैं कि जहां 12 ओबीसी उप-जातियों को पिछड़ा वर्ग में रखा गया है, वहीं 59 को अति पिछड़ी श्रेणी में और 79 को सबसे पिछड़ी श्रेणी में रखा गया है। सरकार पर इन सिफारिशों को लागू करने का दबाव लगातार बढ़ रहा है।

संजय निषाद भी लड़ रहे अपने समाज के हक की लड़ाई

संजय निषाद भी लड़ रहे अपने समाज के हक की लड़ाई

हालांकि सत्तारूढ़ पार्टी की अन्य सहयोगी, निषाद पार्टी ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ कई दौर की बातचीत की है। दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक भी की थी। यूपी के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कहा, "हमें बताया गया है कि हमारा मुद्दा केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय के विचाराधीन है और निषादों को एससी के तहत शामिल करने का निर्णय जल्द ही होने की संभावना है।" निषाद पार्टी नाविकों और मछुआरों के अधिकार की लड़ाई लड़ती रही है।

सावधान यात्रा में निशाने पर होंगे अखिलेश

सावधान यात्रा में निशाने पर होंगे अखिलेश

राजभर ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दलितों और पिछड़े लोगों के अधिकारों के लिए जोर दे रहे हैं। वास्तव में, मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले कार्यकाल के दौरान सामाजिक न्याय समिति का गठन किया गया था। उस समय, हालाँकि, रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बावजूद, इसे लागू नहीं किया गया था। अब इसे करने का समय आ गया है। सावधान यात्रा को लेकर राजभर ने कहा कि वह उन पार्टियों को निशाना बनाएंगे, जिन्होंने सत्ता में रहते हुए सबसे अधिक पीड़ितों को प्रतिनिधित्व देने के बारे में कुछ नहीं किया।

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English summary
Government will assess OBC representation in recruitments done in 10 years
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